CIBIL Score: कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने एक ऐसा सवाल पूछ दिया कि पूरी संसद में हंगामा हो गया और ये सवाल ही ऐसा था. इससे पूरी बैंकिंग प्रणाली पर सवाल खड़े हो गए. कार्ति का सवाल सिबिल पर था. हां वही सिबिल जिसका स्कोर खराब हुआ तो न आप हाउसिंग लोन ले पाएंगे और न ही एजुकेशन लोन. यहां तक कि पर्सनल लोन भी आपको नहीं मिलेगा. आप क्रेडिट कार्ड के भी हकदार नहीं रह जाएंगे. आपको बिजनेस या घर की जरूरतों के लिए बाहर से पैसे पाने के लिए मारा-मारा फिरना पड़ सकता है.
क्या होता है सिबिल स्कोर, कौन तय करता है
सिबिल स्कोर तीन अंकों की एक संख्या होती है. इससे तय होता है कि आपकी उधार या कर्ज लेने की क्षमता कितनी है. इसे चुकाने की आपकी साख कैसी है. पहले लिए गए उधार के चुकाने और वर्तमान वित्तीय क्षमता के आधार पर इसकी गणना की जाती है. इस में सबसे कम स्कोर 300 अंकों और सबसे अधिक 900 अंकों का होता है. यह कई कारकों पर निर्भर करता है. जिसके पास भी पैन कार्ड है, उसका सिबिल स्कोर अपने आप तय होता रहता है. बैंक और वित्तीय संस्थान इसी के आधार पर किसी व्यक्ति के लोन लेने की क्षमता तय करते हैं. यानी वित्तीय संस्थाएं इसी के आधार पर यह तय करती हैं कि किस सीमा तक लोन देने पर सामने वाला व्यक्ति आसानी से चुका देगा.
सिबिल स्कोर बहुत खराब होने पर क्या होगा
अगर किसी व्यक्ति का सिबिल स्कोर बहुत खराब है तो वित्तीय संस्थाएं उस व्यक्ति को लोन देने से इनकार भी कर सकती हैं. सिबिल स्कोर तय करने का काम क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड(CIBIL) नामक कंपनी करती है. साल 2000 में रिजर्व बैंक की सिद्दीकी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर इस कंपनी का गठन हुआ. 2003 में अमेरिका की ट्रांस यूनियन कंपनी में इसके विलय के बाद इसका नाम ट्रांस यूनियन सिबिल लिमिटेड हो गया. यह एक प्राइवेट कंपनी है, जिसके भरोसे भारत के 60 करोड़ लोगों के सिबिल स्कोर मैनेज करने का काम है. इस स्कोर को लेकर पहले भी विवाद उठते रहे हैं. कार्ति चिंदबरम ने भी इस तरह के स्कोर के लिए रिजर्व बैंक के तहत सरकारी एजेंसी का गठन करने की मांग की है.
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