चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रह्मण्यम का कार्यकाल एक साल बढ़ा
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अरविंद सुब्रमण्यन के कार्यकाल में अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दिया गया है. वित्तमंत्री अरुण जेटली के मुख्य सलाहकार के रूप में सुब्रह्मण्यम प्रमुख सुधारवादी नीतियों के लिए सुझाव देते हैं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रह्मण्यम को एक साल का सेवा विस्तार दिया है, जिनका कार्यकाल अक्टूबर में खत्म होने वाला था. वित्त मंत्रालय ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, "सुब्रह्मण्यम अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अतिरिक्त एक साल इस पद पर बने रहेंगे." वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट में जानकारी दी कि अरविंद का कार्यकाल अक्टूबर 2018 तक बढ़ा दिया गया है.
अरविंद का कार्यकाल 16 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. इससे पहले खबर थी कि सीईए ने सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. अधिकारियों ने इससे पहले स्पष्टीकरण दिया था कि वह पद पर बने रहेंगे, क्योंकि सरकार उनके सेवा विस्तार पर विचार कर रही है. सुब्रह्मण्यम को तीन वर्ष के लिए 16 अक्टूबर, 2014 को सीईए (चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर) नियुक्त किया गया था.
FM @arunjaitley : CEA Dr. Arvind Subramanian will continue for one more year after completion of his 3 year tenure on 16th October, 2017.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) September 23, 2017
क्यों बढ़ा अरविंद का कार्यकाल वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अरविंद सुब्रमण्यन के कार्यकाल में अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दिया गया है. वित्तमंत्री अरुण जेटली के मुख्य सलाहकार के रूप में सुब्रह्मण्यम प्रमुख सुधारवादी नीतियों के लिए सुझाव देते हैं.
भारती इकोनॉमी के समक्ष कई चुनौतियां: अरविंद सुब्रह्मण्यम मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने आज कहा कि अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है और इससे विभिन्न मोर्चों पर निपटने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे समक्ष कई चुनौतियां हैं. आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ रही है और निवेश नहीं बढ़ रहा है. इसीलिए हमें वृहद आर्थिक स्थिरता बनाये रखते हुये एक साथ कई मोर्चों जैसे कि विनिमय दर, सार्वजनिक निवेश पर इससे निपटना होगा’’ उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज की समस्या भी प्रमुख चिंता का विषय है. कार्यकाल एक साल बढ़ाये जाने के सरकार के फैसले के तुरंत बाद उनका यह बयान आया है.
रुपये में मजबूती पर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सभी उभरती अर्थव्यवस्थायें इस समस्या का सामना कर रही हैं. पूंजी प्रवाह बढ़ने से विनिमय दर पर दबाव बढ़ा है. उन्होंने कहा, ‘‘सभी देश इस चुनौती से जूझ रहे हैं. विभिन्न देश अपने लक्ष्य के आधार पर कदम उठा रहे हैं. रिजर्व बैंक इस मामले में रुपये में मजबूती पर अंकुश लगाने को लेकर यह करता रहा है.’’ सुब्रह्मण्यम ने कहा कि रुपये की विनिमय दर में जनवरी और अप्रैल के दौरान बड़ी बढ़त हुई जिससे निर्यात और आयात पर असर देखा गया. रिजर्व बैंक पिछले तीन महीने में विदेशी विनिमय बाजार में हस्तक्षेप करता रहा है. उन्होंने आने वाले समय में विदेशी विनिमय दर में कमी को लेकर उम्मीद जताई है.
कौन हैं अरविंद सुब्रह्मण्यम अरविंद सुब्रह्मण्यम वित्त मंत्रालय में रहकर भारत सरकार को अहम सलाह देते रहे हैं. इसके अलावा जी-20 पर वह वित्त मंत्री के विशेषज्ञ समूह के मेंबर भी रहे हैं. उन्होंने कुछ समय अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष में भी अर्थशास्त्री के पद पर काम किया है. सेंट स्टीफंस कालेज से ग्रेजुएशन किया था और नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 में अरविंद सुब्रमणियन को मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया था.
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने साधा था अरविंद पर निशाना पिछले साल भारतीय जनता पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा था कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम छोटे दिमाग के मैनेजमेंट डिग्री धारी हैं और ऐसे लोग अमेरिका की ओर से भारत में थोपे जा रहे हैं. स्वामी ने कहा कि अमेरिकियों ने हम पर अरविंद सरीखे मैनेजमेंट डिग्री होल्डर्स थोपे हैं जो सूक्ष्म दिमाग के हैं जब अर्थव्यवस्था सामान्य संतुलन है.