घरेलू बाजार में सोने की कीमत ने 50 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के लेवल को छू लिया है. कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को लगे झटके ने सुरक्षित निवेश के तौर पर गोल्ड की कीमत काफी बढ़ा दी है. देश में सोने की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की वजह से इसके आयात में कमी आई है. इसके अलावा लॉकडाउन से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स बाधित हुई हैं और ज्वैलर्स की दुकानें भी बंद रही हैं. इसका भी असर गोल्ड की कीमतों पर पड़ा है.
जून 2020 के दौरान भारत ने 60.78 करोड़ रुपये डॉलर के सोने का आयात किया था. जबकि जून 2019 में 2.7 अरब डॉलर के गोल्ड का आयात हुआ था. लॉकडाउन की वजह से मई में सिर्फ 1.3 टन गोल्ड का आयात हुआ था. एक साल पहले इस अवधि के दौरान गोल्ड का आयात 105.8 टन था.
हालांकि इस बीच, गोल्ड 50 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के नजदीक पहुंचने की स्थिति में है. गुरुवार को दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोना 49,135 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया. हालांकि चांदी में गिरावट आई. यह 1,168 रुपये गिर कर 50,326 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई.
गोल्ड की कीमत पर शिखर पर क्यों?
कोरोनावायरस संक्रमण के वजह से दुनिया भर में आर्थिक स्थिरता के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इसलिए लोगों का सुरक्षित निवेश की ओर रुझान बढ़ता जा रहा है. इससे सोने की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है. दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका बनी हुई है,जिससे सोने में निवेशक मांग बनी रह सकती है. अगर इसमें गिरावट भी आएगी तो यह मामूली रहेगी. गोल्डमैन सैक्स ने अगले एक साल में सोने की कीमत 2000 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचने का अनुमान लगाया है. आने वाले दिनों में भी सोने की मजबूती रहने की उम्मीद है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियों में जितनी तेजी की जरूरत है, उतनी नहीं आ रही है