Dry Promotion: अप्रेजल का समय करीब पर एंप्लाइज को सता रहा 'ड्राई प्रमोशन' का डर, आखिर ये है क्या
Dry Promotion: ड्राई प्रमोशन की स्थिति आर्थिक अनिश्चितता के समय में ज्यादा देखी जाती है और हालिया समय में इसको लेकर कंपनियों के कर्मचारियों में डर देखा जा रहा है- क्या आप इसे जानते हैं?
Dry Promotion: नया वित्त वर्ष चालू हो चुका है और अप्रैल का महीना खत्म होने को आ रहा है. आमतौर पर अप्रैल के महीने में कंपनियों में अप्रेजल या इंक्रीमेंट का समय होता है और इसके लिए कर्मचारी काफी इंतजार करते हैं. प्रमोशन, इंक्रीमेंट, अप्रेजल, रोल चेंज जैसे शब्द इस समय दफ्तरों की फिजाओं में तैर रहे होते हैं.
'ड्राई प्रमोशन' आखिर है क्या
आजकल जॉब मार्केट में ऐसा परिदृश्य चल रहा है कि प्रमोशन को लेकर कर्मचारी उत्सुक तो हैं पर आश्वस्त नहीं हैं. इसका कारण है कि आजकल 'ड्राई प्रमोशन' नाम का एक चलन चल पड़ा है. अब आप पूछेंगे कि आखिर ये ड्राई प्रमोशन है क्या? जान लें कि ड्राई प्रमोशन वो स्थिति है जहां एंप्लाई को उसका पद या डेसिगनेशन बढ़ाकर ईनाम दिया जाता है लेकिन इसके साथ सैलरी में या तो इजाफा नहीं होता है या फिर बेहद मामूली बढ़ोतरी की जाती है.
लिहाजा आपका पद बदल जाता है, आपके कार्य के लक्ष्य बदल जाते हैं और आपकी ऑफिस की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं लेकिन पैसों के संदर्भ में देखें तो ये ज्यादा नहीं होता. प्लानिंग एडवाइजरी फर्म Pearl Meyer के मुताबिक डेटा कहता है कि ड्राई प्रमोशन की स्थिति आजकल ज्यादा आम होती जा रही है क्योंकि कंपनी अपने टैलेंट को कम बजट में मैनेज या प्रबंधित कर लेती हैं.
Pearl Meyer का डेटा क्या कहता है?
इसके मुताबिक इस साल 13 फीसदी फर्मों ने कहा कि वो अपने एंप्लाई को प्रोत्साहन या रिवॉर्ड देने के लिए उन्हें नए जॉब टाइटल या नए पद से संतुष्ट करना चाहते हैं जब उनके पास पैसा बढ़ाने की सीमित गुंजाइश होती है. ये आंकड़ा साल 2018 में 8 फीसदी पर था जो अब 13 फीसदी पर आ गया है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा पता चला है.
Dry Promotion आर्थिक अनिश्चितता का है संकेत
आर्थिक अनिश्चितता के समय में ड्राई प्रमोशन की स्थिति ज्यादा देखी जाती है. कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी ना बढ़ाकर या मामूली बढ़ाकर उनका पद या जिम्मेदारी बढ़ा देती हैं. इससे एंप्लाई को भले ही मौद्रिक लाभ नहीं मिलता लेकिन उसे महत्वपूर्ण होने का अहसास मिलता है. अक्सर ऐसा तब होता है जब कंपनियां अपने वर्कर्स को अपने पास बनाए रखने के लिए पहले तो उनकी सैलरी बढ़ा देती हैं लेकिन बाद में और एंप्लाइज को समान वेतन वृद्धि ना देने की सूरत में उनका केवल डेसिगनेशन या पद बढ़ाकर अपना काम चलाना चाहती हैं.
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