Zerodha IPO: आईपीओ बाजार (IPO Market) के लिए मौजूदा साल काफी अच्छा रहा है. जोमैटो, पेटीएम, पारस डिफेंस और नायका जैसी कंपनियों के IPO को निवेशकों ने हाथों हाथ लिया है. कई कंपनियों की वैल्यूएशन IPO आने के तुरंत बाद ही एक लाख करोड़ रुपये को ही पार कर गई. आंकड़ों के मुताबिक इस साल देश में अब तब 35 कंपनियां यूनिकॉर्न का दर्जा पा चुकी हैं.


IPO अंत नहीं है


हालांकि IPO और शेयर मार्केट में हालिया बुल रैली के वाबजूद जीरोधा (Zerodha) के सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamath) इस बात से सहमत नहीं है कि शेयर बाजार में लिस्ट होना उनकी कंपनी के अच्छा दांव रहेगा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "आखिर क्यों जीरोधा का IPO नहीं लाया जा रहा है, जबकि इस समय काफी मार्केट में काफी अधिक वैल्यूएशन पा सकते हैं? सबसे पहले तो मैं यह कहूंगा कि IPO एक शुरुआत है, न कि अंत. जैसे ही आपकी शेयरहोल्डिंग में लाखों कन्जर्वेटिव रुख वाले रिटेल इनवेस्टर्स शामिल होते हैं, वैसे ही आपकी दायित्व काफी बढ़ जाते हैं."   


   


देश के सबसे बड़े स्टॉकब्रोकर के फाउंडर नितिन कामत ने आगे लिखा, "हम एक ऐसी दुनिया में हैं जहां कंपनियों को उनकी भविष्य की सभी ग्रोथ संभावनाओं के आधार पर बिल्कुल सटीकता के साथ वैल्यूएशन मिल रही है. किसी शेयर के अच्छे प्रदर्शन के लिए जरूरी है कि आप बेहतर प्रदर्शन करें. एक सीईओ के रूप में, मुझे यह सोचकर डर लगता है कि आपकी ग्रोथ कंपनियों को लेकर जो आज उम्मीदें हैं, उससे बेहतर प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं."


कामत ने एक के बाद एक लगातार कई ट्वीट करते हुए लिखा, "हमने कभी कमाई या ग्रोथ को लेकर कोई टारगेट नहीं तय किया है. हमारा हमेशा मानना रहा है कि अगर हम ग्राहक के लिए अच्छा कर सकते हैं और अगर भाग्य हमारे साथ देता है, तो बाकी सब कुछ अपने आप ही हो जाएगा. हमारी कोर टीम हर समय उस दर्शन से दूर जाने से डरती है, जो कि एक IPO के बाद होगा."


IPO से डर की वजह


कामत ने इस डर के पीछे की एक और वजह बताते हुए कहा कि डरने का एक कारण यह भी है कि ब्रोकिंग को लेकर शायद ही कोई अनुमान लगाया जा सकता है. जब कोई मुझसे 3 साल के प्रोजेक्शन के लिए पूछता है, तो मैं आमतौर पर जवाब देता हूं, क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि निफ्टी मिडकैप इंडेक्स अगले 3 साल में क्या कर सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा यूजर बेस से लेकर कमाई में बढ़ोतरी तक सब कुछ लगभग उसी इंडेक्स को दर्शाता है.


आपक को यहां बता देना जरूरी है कि जीरोधा दूसरे स्टार्टअप के उलट बिना किसी एक्सटर्नल फंडिंग के यूनिकॉर्न स्टेटस तक पहुंची है. पूरी तरह से फाउंडरों के पैसे से शुरू हुआ यह स्टार्टअप, देश के उन कुछ चुनिंदा स्टार्टअप में से एक है, जो मुनाफे में है.


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