द्वारका दास 2014 में ही विलफुल डिफॉल्टर घोषित, सीबीआई को दी गयी थी मामले की जानकारी: OBC
बैंक ने आज शेयरबाजारों को दी गयी सूचना में कहा कि 389.85 करोड़ रुपये की इस कथित धोखाधड़ी से उसके मुनाफे पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसने अपने हिसाब किताब में इस फंसी रकम के संबंध में पूर्ण प्रावधान पहले ही कर दिए हैं.
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नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) ने आज कहा कि द्वारका दास इंटरनेशनल को जून 2014 में जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले यूनिट घोषित किया गया था और तय प्रक्रियाओं के अनुसार बैंक ने उसके द्वारा की गयी धोखाधड़ी की जानकारी पहले ही रिजर्व बैंक और सीबीआई को दे दी थी.
बैंक ने आज शेयरबाजारों को दी गयी सूचना में कहा कि 389.85 करोड़ रुपये की इस कथित धोखाधड़ी से उसके मुनाफे पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसने अपने हिसाब किताब में इस फंसी रकम के संबंध में पूर्ण प्रावधान पहले ही कर दिए हैं.
ओबीसी ने कहा है इस कर्ज खाते को खाते को 31 मार्च 2014 को नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) की सूची में डाल दिया गया था. बैंक ने कंपनी को 30 जून 2014 को जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला घोषित किया था. ओबीसी ने कहा, "मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुसार बैंक ने रिजर्व बैंक और सीबीआई को इन खातों के धोखाधड़ी वाले खाते के रूप में दर्ज करने की जानकारी दी थी."
सीबीआई ने ओबीसी के साथ 389.85 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के लिये द्वारका दास सेठ इंटरनेशनल, डायमंड ज्वैलरी एक्सपोर्टर के खिलाफ केस दर्ज किया है. जांच एजेंसी ने कंपनी के साथ-साथ इसके सभी निदेशकों- सभ्य सेठ, रीता सेठ, कृष्ण कुमार सिंह और रवि सिंह और अन्य कंपनी द्वारका दास सेठ सेज इनकॉरपोरेशन के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
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