नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत पांच राज्यों के भीतर एक जगह से दूसरे जगह पर कारोबार-व्यापार के लिए सामाने लाने-ले जाने के लिए 15 अप्रैल से ई-वे बिल जरुरी होगा. कर्नाटक में ये व्यवस्था पहले से ही लाग हो चुकी है.


पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी में कर चोरी रोकने के लिए ई वे बिल व्यवस्था का शुरुआत की गयी है. पहली अप्रैल से जमीन, आसमान या पानी, किसी भी रास्ते से एक राज्य से दूसरे राज्य में 50 हजार रुपये या उससे ज्यादा का माल लाने-ले जाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक यानी ई वे बिल पहली अप्रैल से जरुरी कर दिया गया है जबकि 15 अप्रैल से चरणबद्ध तरीके से राज्य के भीतर ई-वे बिल शुरु करने की योजना बनायी गयी. ताजा ऐलान इसी योजना का एक हिस्सा है.


ई-वे बिल, दरअसल, एक तरह का परमिट है जो ये जानकारी देता है कि तय कीमत का माल पूरी तरह से कर चुकाने के बाद एक जगह से दूसरे जगह पर कानूनी तरीक से ले जाया जा रहा है. अभी ये व्यवस्था दो राज्यों के बीच शुरु की गयी है, जबकि कुछ दिनों बाद चरणबद्ध तरीके से राज्यों के बीच एक जगह से दूसरे जगह के बीच सामान लाने-ले जाने के मामले में इस्तेमाल होगा. ई वे बिल को कुछ हद तक पुराने समय के सी फॉर्म के तौर पर देखा जा सकता है. सी फॉर्म राज्यों के बीच कारोबार के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन उसमे भारी गड़बड़ी होती रही और एक ही सी फॉर्म पर कई बार सामान इधर से ऊधऱ कर कर की चोरी की गयी. लेकिन ई वे बिल के साथ ये मुमिकन नही. इसका इस्तेमाल एक ही बार हो सकेगा.


राज्यों के भीतर ई वे बिल की व्यवस्था के तहत जब कोई ट्रांसपोर्टर 10 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक सामान पहुंचाता है और सामान की कीमत (कर सहित) 50 हजार रुपये या उससे ज्यादा है तो वहां पर ई वे बिल जारी करना जरुरी होगा. हालांकि अगर उत्पादन स्थल यानी प्लांट से ट्रांसपोर्टर के यहां सामान ले जाना है और इन दो स्थानों के बीच की दूरी 50 किलोमीटर से ज्यादा है तभी वहां पर ई वे बिल जारी करना जरुरी होगा.


अब सवाल उठता है कि ई वे बिल कैसे जारी हो सकता है. इस बारे में वित्त मंत्रालय का कहना है कि




  • ई वे बिल के लिए आपके पास कंप्यूटर, लैपटॉप या टैबलेट होना ही जरुरी नहीं, ये एट्रांयड सिस्टम आधारित मोबाइल फोन पर एप के जरिए जारी किया जा सकता है.

  • ये एसएमएस के रुप में भी हो सकता है.

  • साथ ही यदि एक ट्रक पर कई कंसाइनमेंट हैं तो कंसोलिडेटेड ई वे बिल भी जारी किया ज सकता है

  • बिल जारी होने के 24 घंटे बाद जारी करने वाला रद्द कर सकता है.


ई वे बिल की कुछ और खास बातें इस तरह है




  • ई वे बिल जारी करने वाले के लिए जीएसटी पोर्टल यानी जीएसटीएन पर रजिट्रेशन कराना जरुरी है. गैर रजिस्टर्ड ट्रांसपोर्टर्र कोhttps://ewaybillgst.gov.in पर पंजीकृत होना जरूरी है.

  • ई बिल जारी करने के लिए कर की अदायगी, डिलिवरी चालान, ट्रांसपोर्टर्स के पहचान पत्र के साथ वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर होना जरुरी है.

  • गौर करने की बात ये है कि एक बार जारी करने के बाद ई वे बिल में फेरबदल नहीं किया जा सकता है. इसकी जगह रद्द करना होगा और नया ई वे बिल जारी करना होगा.

  • अगर कारोबारी जीएसटी पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं है और उसे अपना माल दूसरे राज्य में भेजना है तो यहां पर ट्रांसपोर्टर उसकी तरफ से ई वे बिल तैयार कर सकता है.

  • ई वे बिल जारी होने के समय से प्रत्येक 100 किलोमीटर के लिए 1 दिन तक वैध होगा

  • अगर किसी वजह से ट्रक को आधे घंटे से ज्यादा समय के लिए रोक लिया जाता है तो ट्रांसपोर्टर इसकी जानकारी ई वे बिल पोर्टल पर दे सकता है.


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