India Inflation Data: जुलाई के महीने में जून 2024 के खुदरा महंगाई दर और होलसेल महंगाई दर के जो आंकड़े घोषित हुए हैं ये आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं. चिंता इसलिए क्योंकि खुदरा हो या थोक दोनों ही महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिली है. वजह है महंगी साग-सब्जियों, फलों और दालों के दाम जिसके चलते खाद्य महंगाई दर में उछाल देखने को मिला है. दिसंबर 2023 के बाद सात महीनों में ये पहला मौका है जब खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी के पार जा पहुंची है.

  


क्यों बढ़ी महंगाई?


पहले अप्रैल और मई महीने में हीटवेव ने परेशान किया तो जून महीने से देश के कई राज्यों में मानसून दस्तक दे चुका है. कई राज्यों में भारी बारिश हो रही है तो कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति है. पहले हीटवेव तो उसके बाद बारिश के कारण साग-सब्जियों और फलों के उत्पादन और सप्लाई प्रभावित हुई है. डिमांड-सप्लाई में खाई के चलते साग-सब्जियों और फलों की कीमतें बढ़ी है. नॉन- फूड ऑइटम्स में तो महंगाई नहीं सता रही है. लेकिन जून महीने में फूड आईटम्स में साग-सब्जियां फल और दालों की महंगाई के चलते खुदरा महंगाई दर और थोक मूल्य आधारित महंगाई दर में उछाल देखने को मिला है. 


खाद्य महंगाई दर जून 2024 में 9.36 फीसदी रही है जो जून 2023 में 4.31 फीसदी रही थी. जिसमें सब्जियों की महंगाई दर 27.33 फीसदी से बढ़कर 29.32 फीसदी पर जा पहुंची है. दालों की महंगाई दर 16.07 फीसदी और फलों की महंगाई दर 7.1 फीसदी रही है. थोक महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक प्याज की महंगाई दर जून 2024 में 93.55 फीसदी रही है जो मई में 58.05 फीसदी रही थी. फलों की महंगाई दर जून में 10.14 फीसदी रही है जो मई 2024 में 5.81 फीसदी रही थी. थोक महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक आलू और गेहूं की महंगाई दर में भी उछाल देखने को मिला है. 


टमाटर प्याज की कीमतें आसमान पर 


ये तो महंगाई दर के आंकड़ों की बात. लेकिन आप बाजार जाएं तो टमाटर 90 - 100 रुपये किलो, प्याज 50 - 60 रुपये किलो, आलू 40 - 50 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ही अरहर दाल 168.75 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है और एक साल में अरहर दाल 24.38 फीसदी महंगा हुआ है जबकि एक महीने में 3.96 फीसदी दाम बढ़े हैं. चना दाल एक साल में 19.85 फीसदी और उड़द दाल 12.15 फीसदी महंगा हुआ है.   


महंगाई दर में उछाल का असर? 


महंगाई दर में उछाल से बड़ा झटका उन लोगों को लगा है जो खुदरा महंगाई दर में कमी के चलते आरबीआई की ओर से पॉलिसी रेट्स में कमी की उम्मीद पाले हुए थे. आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने 4 फीसदी तक महंगाई दर को लाने का लक्ष्य रखा है. फिलहाल महंगाई दर का आंकड़ा आरबीआई के टोलरेंस बैंड के अपर लेवल से नीचे है लेकिन 4 फीसदी के टारगेट से बहुत ऊपर है. ऐसे में अगले महीने 6 से 8 अगस्त तक रबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में एमपीसी कमिटी की जो बैठक होगी उसमें पॉलिसी रेट्स जस का तस बना रह सकता है. जबकि पहले मौजूदा वर्ष की दूसरी छमाही से ब्याज दरें घटने की उम्मीद की जा रही थी. 


महंगाई के चलते महंगी ईएमआई से राहत नहीं!


मई 2022 से आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर के 7.80 फीसदी तक जाने के बाद पॉलिसी रेट्स को बढ़ाना शुरू किया और 6 एमपीसी कमिटी की बैठक में रेपो रेट को 4 फीसदी से 6.50 फीसदी कर दिया गया जिसके चलते होम लोन से लेकर ऑटो लोन, एजुकेशन लोन समेत सभी रिटेल लोन महंगा हो गए. जिन लोगों ने पहले से लोन ले रखा था उनकी ईएमआई महंगी हो गई. और पिछले सात एमपीसी बैठकों से पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. पर अब महंगाई दर के आंकड़ों में उछाल के बाद लोगों के रसोई के बजट पर तो इसका असर होगा ही साथ में महंगी ईएमआई से भी फिलहाल राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे.    


खाद्य महंगाई में कमी के लिए अच्छा मानसून जरूरी


केयरएज रेटिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा के मुताबिक, सब्जियों के दाम तेजी से बढ़े हैं जिसके लिए सप्लाई-साइड और डिमांड-साइड फैक्टर्स जिम्मेदार है. पिछले साल आउटपुट घटा है तो मई-जून में हीटवेव के चलते सब्जियां खराब हुई है तो फेस्टिव सीजन के चलते डिमांड बढ़ने से कीमतें बढ़ी है. रजनी सिन्हा ने कहा, अनाज, दाल और मसालों की कीमतों में उछाल चिंता का कारण है. उन्होंने कहा कि अच्छा मानसून सीजन खाद्य महंगाई में कमी लाने के लिए बेहद जरूरी है और खाद्य महंगाई कम हुई तो मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में 50 बेसिस प्वाइंट तक पॉलिसी रेट घट सकता है. 


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