लॉकडाउन के बाद धीमी रफ्तार से ही सही लेकिन अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार दिखने लगे हैं. कई इंडिकेटर इसकी पुष्टि कर रहे हैं. जून में जीएसटी कलेक्शन लॉकडाउन के पहले के स्तर पर पहुंच गए हैं. मई की तुलना में जीएसटी कलेक्शन में इजाफा हुआ है. इसके अलावा अर्थव्यवस्था में रफ्तार की पुष्टि बिजली की बढ़ी खपत के तौर पर भी हुई है. मनरेगा के काम की घटी मांग से यह साफ हो गया है कि औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरों की मांग बढ़ी है. इस बीच, 5 जून को खत्म हुए पखवाड़े में बैंक क्रेडिट में भी इजाफा हुआ है और यह 32,022 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.


मैन्यूफैक्चरिंग में दिखा सुधार 


सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मई में जीएसटी कलेक्शन 62,009 करोड़ रुपये का था लेकिन जून में यह बढ़ कर 90,917 करोड़ रुपये का हो गया. इससे पता चलता है कि इकनॉमी में खपत बढ़ रही है. जून में ई-वे बिल भी बढ़ कर 4 करोड़ तक पहुंच गया है. इससे पता चलता है कि सामानों की ढुलाई काफी बढ़ी है. जीएसटी व्यवस्था के तहत सामानों के मूवमेंट के लिए ई-वे बिल की जरूरत होती है.


मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों को दिखाने वाला परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी PMI में भी सुधार दिख रहा है. मई में PMI 30.8 पर था लेकिन जून में यह बढ़ कर 47.2 पर पहुंच गया. 50 से ऊपर का स्कोर औद्योगिक गतिविधियों में विस्तार को दिखाता है. रीजनल ट्रांसपोर्ट दफ्तरों में कलेक्शन, रेलवे की माल ढुलाई और बिजली की खपत में इजाफा भी यह बता रहा है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ रही है.


इस बीच, फोर-व्हीलर्स और टू-व्हीलर्स कंपनियों की बिक्री में भी इजाफा हुआ है. तीन बड़ी कंपनियों- हीरो मोटोकॉर्प, महिंद्रा और टीवीएस की बिक्री फरवरी की बिक्री के बराबर पहुंच गई है. इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक महिंद्रा एंड महिंद्रा ने ट्रैक्टर की बिक्री में इजाफा दर्ज किया है.