जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ-साफ दिखने लगा है. इसी सीजन में देश के कई ऐसे इलाके सूखे का शिकार हो रहे हैं, जहां इस मौसम में भारी बारिश होती आई है. वहीं कई ऐसे इलाके हैं, जहां हद से ज्यादा बारिश हो रही है. स्थिति ऐसी है कि राष्ट्रीय राजधानी को दशकों बाद भीषण बाढ़ का शिकार होना पड़ा है. जलवायु परिवर्तन के इन दुष्परिणामों का भारी आर्थिक खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है. एक रिपोर्ट बताती है कि आने वाले सालों में इसके कारण दिल्ली को खरबों रुपये का नुकसान हो सकता है.


इस सीजन में इतना नुकसान


चालू सीजन की बात करें तो इस बार ही नुकसान कम नहीं है. हिमाचल प्रदेश सरकार को अपने राज्य में बाढ़ व बारिश से 8000 करोड़ रुपये के आर्थिक नुकसान का अनुमान है, जबकि देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में बारिश के इस सीजन में देश को 10 से 15 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया है.


इतना ज्यादा हो सकता है नुकसान


अब जलवायु परिवर्तन पर सरकार के ड्राफ्ट एक्शन प्लान में गंभीर बातें सामने आई हैं. प्लान के अनुसार, दिल्ली के सामने सबसे बड़ी समस्या हीट वेव और भारी बारिश से होने वाली है. दिल्ली के एक्शन प्लान की मानें तो साल 2050 तक दिल्ली को जलवायु परिवर्तन के नतीजों से 2.75 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.


इस कारण बना है ड्राफ्ट


भारत ने साल 2008 में नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज (NAPCC) को पेश किया था. उसके बाद सभी राज्य सरकारों को अपना-अपना एक्शन प्लान तैयार करने के लिए कहा गया था. केंद्र सरकार ने 2018 में सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने स्टेट एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज को संशोधित करें और बदलती राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जरूरतों तथा विज्ञान व समाज के उभरते परिदृश्य के हिसाब से प्लान में बदलाव करें. उसके बाद दिल्ली ने यह ड्राफ्ट तैयार किया है.


इस तरह से नुकसान की आशंका


ड्राफ्ट एक्शन प्लान को अभी मंजूरी मिलनी बाकी है. प्लान के मुताबिक 2050 तक 2.75 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की जो आशंका है, वह सबसे ज्यादा सर्विस सेक्टर में है. जलवायु परिवर्तन से अकेले सर्विस सेक्टर में 2.34 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. उसके अलावा 33 हजार करोड़ रुपये का नुकसान विनिर्माण में और 8 हजार करोड़ रुपये का नुकसान कृषि व उससे जुड़ी गतिविधियों में हो सकता है.


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