नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूरे संबोधन का सार यही था कि कोरोना महामारी से बचाव करते हुए हमें अपनी सुस्त पड़ी इकनॉमी में फिर नई जान फूंकनी है. पीएम ने 20 लाख करोड़ के जिस पैकेज का एलान किया है वो भी लॉकडाउन से बंद पड़ी इंडस्ट्री को फिर से खड़ा करने की कोशिश की है. पीएम मोदी के आर्थिक पैकेज से इंडस्ट्री सेक्टर बेहद खुश है क्योंकि किसी ने भी इतने बड़े पैकेज की मांग नहीं की थी. CII जहां 15 लाख करोड़ के राहत पैकेज की मांग कर रही थी वहीं FICCI तो केवल 10 लाख करोड़ के राहत की ही मांग कर रहा था.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में ये तो नहीं बताया कि लॉकडाउन 4 में नया क्या होगा लेकिन इतना अंदाजा तो हो गया है कि अब जोर अर्थव्यवस्था पर है. इसलिए सावधानी बरतते हुए धीरे धीरे उद्योगों और काम धंधों को शुरू करने की इजाजत दे दी जाएगी. कोशिश ये है कि कोरोना की चपेट में आई अर्थव्यवस्था एक बार फिर रफ्तार पकड़ ले. पीएम मोदी ने इसके लिए अच्छे खासे आर्थिक पैकेज का एलान भी कर दिया है.

किन लोगों को होगा फायदा
सरकार ने अबतक 20 लाख करोड़ के पैकेज का एलान किया है इसमें से मार्च महीने में 1.70 लाख करोड़ रुपये, अप्रैल महीने में 1 लाख करोड़ और मई महीने में कल 17.30 लाख करोड़ के पैकेज का एलान किया है. राहत पैकेज से 12 करोड़ के करीब बेरोजगारों, 10 करोड़ पलायन करके आए मजदूरों, MSME सेक्टर के 11 करोड़ कामगारों, टूरिज्म और हॉस्पिटेलिटी सेक्टर के 3.8 करोड़ और टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े साढे 4 करोड़ लोगों को फायदा होगा.

जर्मनी के पैकेज के बराबर भारत का पैकेज
कोरोना राहत के नाम पर अबतक कुल मिलाकर दी गई 20 लाख करोड़ की ये रकम पूरे देश की जीडीपी का 10 फीसदी है. कोरोना संकट के लिए दुनिया के सबसे ज्यादा रकम खर्च करने वाले दूसरे देशों पर नजर डालें तो जापान ने कुल जीडीपी का 21.1 फीसदी, अमेरिका ने जीडीपी का 13 फीसदी, स्वीडन ने देश की जीडीपी का 12 फीसदी और जर्मनी ने देश की जीडीपी का 10.7 फीसदी खर्च किया है. इस लिहाज से भारत में 10 फीसदी का आंकड़ा जर्मनी के आसपास ही है.

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