नई दिल्ली: आर्थिक समीक्षा में कृषि क्षेत्र की महामारी के दौरान मजबूती दिखाने के लिए सराहना की गई है और इसे एक आधुनिक व्यावसायिक उद्यम के रूप में देखने का सुझाव दिया गया है. वित्त मंत्री निमर्ला सीतारमण की ओर से लोकसभा में पेश किए गए वर्ष 2020-21 की आर्थिक समीक्षा में कृषि क्षेत्र की नीतियों में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है ताकि इस क्षेत्र का मजबूती से विकास हो सके. वहीं माना जा रहा है कि बजट में कृषि सुधारों को लेकर कुछ ऐलान किए जा सकते हैं.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि किसानों को बुनियादी शिक्षा और प्रशिक्षण के साथ उन्हें उत्पादक से एक उद्यमी की भूमिका को बदलने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए. सर्वे में सुझाव दिया गया है कि किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए ग्रामीण कृषि विद्यालयों की स्थापना का विकल्प खोजा जा सकता है. पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन सहित संबद्ध क्षेत्रों के संबंध में, सर्वे ने कहा कि ये क्षेत्र धीरे-धीरे कृषि आय और रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गए हैं.
तीन नए कृषि कानून
वहीं वार्षिक आर्थिक समीक्षा में नए कृषि कानूनों का मजबूती से पक्ष रखते हुए कहा गया है कि ये तीन कानून किसानों के लिए बाजार की आजादी के एक नए युग की शुरुआत करने वाले हैं. समीक्षा में कहा गया है कि इन तीन कानूनों का भारत में छोटे और सीमांत किसानों का जीवन सुधारने की दिशा में दीर्घकालिक लाभ हो सकता है. समीक्षा में कहा गया कि इन कानूनों को मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों के फायदे को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है. लगभग 85 प्रतिशत किसान इन्हीं श्रेणियों में आते हैं और ये एक प्रतिगामी एपीएमसी (कृषि मंडी कानून) द्वारा विनियमित बाजार व्यवस्था के सबसे अधिक सताए लोग हैं.
कृषि क्षेत्र ने किया बेहतर प्रदर्शन
सर्वे में कहा गया है कि कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन में भारत के कृषि क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है. 2020-21 के दौरान अन्य क्षेत्रों में गिरावट के बीच कृषि और संबद्ध गतिविधियों के क्षेत्र का प्रदर्शन चमकदार रहा. चालू वित्त वर्ष में इस क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि का अनुमान है. सर्वे के मुताबिक, कृषि क्षेत्र को आत्मानिर्भर भारत पैकेज की घोषणाओं के तहत लोन, बाजार सुधार और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संबंधी विभिन्न उपायों से ‘नई गति’ मिली है. पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन सहित संबद्ध क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार के विभिन्न हस्तक्षेप, संबद्ध क्षेत्रों की क्षमता के समुचित दोहन के प्रति सरकार के संकल्प को प्रदर्शित करते हैं.
सर्वे में कहा गया है कि भारत में समावेशी विकास का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के विकास के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है और ग्रामीण क्षेत्र का विकास कृषि पर निर्भर है. सर्वे में कहा गया है कि कृषि (वानिकी और मत्स्य पालन सहित) का भारत में सबसे बड़े निम्न-आय वर्ग के भाग्य पर असर पड़ता है. हमें ग्रामीण आजीविका देने वाले क्षेत्र की जगह, कृषि को एक आधुनिक व्यावसायिक उद्यम वाले क्षेत्र के रूप में देखने के तरीके को विकसित करने की आवश्यकता है. सर्वे में सिफारिश की गई है कि कृषि उत्पादों के लिए पर्याप्त भंडारण, लाभकारी बाजार और फसल उत्पादन के बाद के प्रबंधन पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
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