Economic Survey 2025: इकोनॉमिक सर्वे से अच्छी खबर, 2025 में सोने की कीमतें आएंगी नीचे, जानें चांदी पर क्या अनुमान
Economic Survey 2025: संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 मे यह बात कही गई है कि कमोडिटी की कीमतों में साल 2025 में 5.1 फीसदी और साल 2026 में 1.7 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है.
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Economic Survey 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 पेश किया जिसमें बताया गया है कि साल 2025 में सोने की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है, जबकि चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है. संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 मे यह बात कही गई है कि कमोडिटी की कीमतों में साल 2025 में 5.1 फीसदी और साल 2026 में 1.7 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है.
सोने की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कीमती मेटल्स में सोने की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है, जबकि चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है. मेटल और मिनरल की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण आयरन ओर के साथ कॉपर कीमतों में कमी आना है. इसमें कहा गया कि सामान्य तौर पर, भारत की तरफ से आयात की जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का रुझान घरेलू महंगाई दर के दृष्टिकोण के लिए सकारात्मक है.
अक्टूबर 2024 के लिए विश्व बैंक के 'कमोडिटी बाजार परिदृश्य' का हवाला देते हुए, आर्थिक समीक्षा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अनुमानित गिरावट तेल की कीमतों के कारण है, लेकिन प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी और धातुओं और कृषि कच्चे माल के लिए स्थिर दृष्टिकोण से यह कम हो गई है.
भारत के सोने के आयात में बढ़ोतरी के कारण
इस बीच, आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि "अनिश्चितता में वैश्विक वृद्धि ने विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना में उतार-चढ़ाव को जन्म दिया है. वर्ष 2024 में सोने की बुलियन होल्डिंग, दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अपने उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गई है, जो कि मुख्य रूप से उभरते बाजार के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने के संचय से प्रेरित थी. वैश्विक कीमतों में वृद्धि, त्योहारी खर्च से पहले शुरुआती खरीद और सुरक्षित-संपत्तियों की मांग की वजह से सोने के आयात में बढ़ोतरी हुई है." भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है.
विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना में उतार-चढ़ाव जारी
समीक्षा में पाया गया कि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता ने विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना में उतार-चढ़ाव को जन्म दिया है, क्योंकि केंद्रीय बैंक जोखिमों को कम करने के लिए अपनी होल्डिंग्स को समायोजित करते हैं. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि वैश्विक रिजर्व प्रणाली में लगातार बदलाव हो रहे हैं, जिसमें डॉलर के प्रभुत्व से धीरे-धीरे दूर जाना और गैर-पारंपरिक करेंसी की बढ़ती भूमिका शामिल है.
आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया कि सोने की कीमतों में अनुमानित गिरावट निवेशकों की भावना को प्रभावित कर सकती है, जबकि चांदी की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि सर्राफा बाजार को कुछ समर्थन प्रदान कर सकती है. आगामी वित्त वर्ष की तैयारी के बीच, सरकार के द्वारा सर्राफा की कीमतों में उतार-चढ़ाव और मुद्रास्फीति, व्यापार और विदेशी मुद्रा भंडार पर उनके प्रभाव की बारीकी से निगरानी किये जाने की उम्मीद है.
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