Economy of UK: इन आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है ब्रिटेन, 6 साल में 5वें पीएम बने ऋषि सुनक; क्या लगा पाएंगे बेड़ापार?
Economy of UK: ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है. नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी आर्थिक चुनौतियों की तरफ इशारा कर चुके हैं.
Economy of UK: ऋषि सुनक (Rishi Sunak) 6 साल में ब्रिटेन के पांचवें प्रइम मिनिस्टर बने हैं. ब्रिटेन अभी कई मोर्चों पर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. पहले दिन से ही ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री को कई बाधाओं से निपटने की नीति बनानी होगी. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था (Economy of UK) सुस्ती के दौर से गुजर रही है. अपने पहले सार्वजनिक बयान में सुनक ने कहा है कि यूनाइटेड किंगडम एक महान देश है, लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हमारे सामने विकराल आर्थिक चुनौतियां है. आखिर सुनक किन आर्थिक चुनौतियों (Economic Challenges) की तरफ इशारा कर रहे हैं, आइए विस्तार से समझते हैं.
बढ़ती महंगाई
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्रियों बोरिस जॉनसन और लिज ट्रस के कार्यकाल में महंगाई (Inflation in UK) 40 साल के उच्च स्तर पर जा पहुंची. इससे कॉस्ट ऑफ लिविंग (Cost of Living in UK) में लगातार बढ़ोतरी हुई है. मतलब जीवनयापन का खर्च ब्रिटेन में बढ़ गया है. सितंबर में ब्रिटेन की खुदरा महंगाई दर 10.1 प्रतिशत थी. जुलाई में पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में भी खुदरा महंगाई दर लगभग इसी स्तर पर थी. अगस्त में यह 9.9 प्रतिशत पर थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लिज ट्रस महंगाई पर काबू पाने में नाकामयाब रहीं. नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के सामने महंगाई कम करने और आम आदमी के जीवनयापन के खर्च को कम करने की एक बड़ी चुनौती है.
मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर्स में सुस्ती
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था (UK Economy) सुस्ती के दौर से गुजर रही है. एसएंडपी ग्लोबल कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (S&P Global's composite purchasing managers index) 47.2 के स्तर पर आ गया है तो मार्च 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है. पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस के टैक्स कटौती के फैसले से न सिर्फ पाउंड बल्कि बॉन्ड मार्केट भी प्रभावित हुआ और ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखी गई. मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई भी 48.4 से घट कर 45.8 के स्तर पर आ गया जो जून 2020 के बाद सबसे निचला स्तर है. वहीं, सर्विसेज पीएमआई भी 50 से घट कर 47.5 पर आ गया है. पीएमआई अगर 50 से कम है तो वह संकुचन को प्रदर्शित करता है, वहीं 50 से ऊपर का आंकड़ा वृद्धि को दर्शाता है. मैन्यूफैक्चरर्स को मिलने वाले नए ऑर्डर्स में भारी गिरावट देखी गई है और इससे संकेत मिलता है कि ब्रिटेन के अर्थव्यवस्था की वर्तमान सुस्ती इतनी जल्दी नहीं जाने वाली.
बढ़ती ब्याज दरें
40 साल के उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्रिटेन का केंद्रीय बैंक - बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England) अगले हफ्ते होने वाली पॉलिसी बैठक में ब्याज दरों में भारी बढ़ोतरी की घोषणा कर सकता है. इससे कर्ज लेने वालों, जिनमें घर खरीदने वाले भी शामिल हैं, का बोझ बढ़ेगा.
ब्रिटेन की जीडीपी ग्रोथ घटने का अनुमान
ब्रिटेन की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth of UK) का अनुमान 2022 के लिए 3.3 प्रतिशत, 2023 के लिए 0.2 प्रतिशत और 2024 के लिए 1 प्रतिशत किया गया है. समय के साथ इसमें बढ़ोतरी या कटौती भी हो सकती है. अनुमानों के अनुसार, 2022 में यूके में महंगाई 13 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. ब्रिटिश पाउंड की कीमत भी लगभग डॉलर के बराबर पहुंच चुकी है.
कोरोना, रूस-यूक्रेन युद्ध और ब्रेक्जिट से भी पहुंचा नुकसान
ऊपर बताए गए कारणों के अलावा ब्रिटेन कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और 2020 में यूरोपियन यूनियन से निकलने के बाद पैदा हुए आर्थिक समस्याओं से भी जूझ रहा है. नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को इन सभी आर्थिक समस्याओं का हल ढूंढना होगा.
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