अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी, साल की दूसरी तिमाही में जीडीपी दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि मौजूदा 2019-20 मैं जीडीपी की बढ़ोतरी दर 5.6 फीसदी रहेगी. इससे तकरीबन एक महीना पहले एजेंसी ने 2,000 1920 में जीडीपी की बढ़ोतरी दर 6.1 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया था.
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नई दिल्ली: भारत के लिए आर्थिक मोर्चे पर एक और बुरी खबर सामने आई है. मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार महज 4.7 फीसदी रह सकती है. फिच समूह की इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अपने हालिया आंकड़ों में बताया है कि फर्म का अनुमान है कि जुलाई से सितंबर के दौरान यानी के मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार 4.7 फ़ीसदी रह सकती है. इसके साथ ही इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी के आंकड़ों को लेकर चौथी बार फेरबदल किया है. इंडिया रेटिंग्स ने लगातार चौथी बार जीडीपी की बढ़ोतरी दर में कमी का अनुमान लगाया है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि मौजूदा 2019-20 में जीडीपी की बढ़ोतरी दर 5.6 फीसदी रहेगी. इससे तकरीबन एक महीना पहले एजेंसी ने 2019-20 में जीडीपी की बढ़ोतरी दर 6.1 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया था. यह लगातार चौथी बार है, जब इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने अनुमान में कमी की है.
गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी कि अप्रैल से जून के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार महज 5 फ़ीसदी रही थी जो कि बीते 6 साल की सबसे कम थी. अगर मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में एजेंसी के अनुमान के मुताबिक यानि जीडीपी बढ़ने की रफ्तार 4.7 फ़ीसदी रहती है तो यह लगातार छठी तिमाही होगी जिसमें जीडीपी का आंकड़ा लगातार गिरता हुआ दिखेगा.
29 तारीख पर रहेंगी नजरें
आने वाली 29 तारीख को भारतीय अर्थव्यवस्था का दूसरी तिमाही का जीडीपी आंकड़ा आने की उम्मीद है. जानकारों का मानना है की पहली तिमाही यानी कि अप्रैल से जून के दौरान राह जीडीपी का आंकड़ा इस तिमाही में यानी के जुलाई से सितंबर के दौरान और कम रह सकता है. अब ऐसा ही अनुमान इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की तरफ से भी आया है.
तीसरी तिमाही पर टिकी उम्मीदें
केंद्र सरकार ने हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर्स के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं. इसके अलावा अक्टूबर से दिसंबर यानी कि तीसरी तिमाही के दौरान त्योहारी मौसम होने के चलते बाजार में हलचल बढ़ी है. वहीं सरकार ने जो कॉरपोरेट टैक्स में कमी की है उससे मिलने वाले फायदे भी तीसरी तिमाही के आंकड़ों में प्रदर्शित होने की उम्मीद है. ऐसे में 29 तारीख को आने वाला आंकड़ा भले ही निराशाजनक हो लेकिन अक्टूबर से दिसंबर यानी के मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के आंकड़े बेहतर हो सकते हैं.
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