देश के कई राज्यों में लगातार लॉकडाउन के बावजूद 19 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान शहरी रोजगार में इजाफा दर्ज किया गया है. अप्रैल में शहरी रोजगार में भारी गिरावट के स्तर से यह 35.1 फीसदी अधिक है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE के  मुताबिक रोजगार बाजार में संतुलन की स्थिति दिखने लगी है. CMIE के मुताबिक जून में रोजगार में बढ़त देखने को मिली थी लेकिन जुलाई में समग्र रोजगार में हल्की गिरावट देखने को मिली. 19 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान समग्र रोजगार दर 38.1 फीसदी रही थी. जून में रोजगार दर 38.42 फीसदी रही.


लॉकडाउन के बावजूद बढ़ा रोजगार 

CMIE के मुताबिक जिन लोगों की रोजगार बहाल हुई उनमें मेड, कुक, ड्राइवर क्लीनर और कंस्ट्रक्शन वर्कर शामिल हैं. हालांकि देश के शहरों में लगातार रुक-रुक कर लग रहे लॉकडाउन की वजह से कई सेवा फिर से शुरू हुई हैं लेकिन अभी भी कई पाबंदियां लगी हुई हैं. हालांकि कुल मिला कर शहरी रोजगार में इजाफा देखने को मिल रहा है. CMIE के मुताबिक अप्रैल में 12.2 करोड़ बेरोजगार हो गए थे. जिनमें से 9.1 करोड़ को जून में दोबारा रोजगार मिल गया था. 19 जुलाई को खत्म हफ्ते के दौरान रोजगार बढ़ा और यह 41.7 फीसदी रहा. जून के तीसरे सप्ताह यह 42 फीसदी था लेकिन इसके बाद तीन हफ्ते तक इसमें गिरावट आई. हालांकि 19 जुलाई को खत्म हफ्ते के दौरान बेरोजगारी दर 7.9 फीसदी पहुंच गई जो इससे पिछले हफ्ते 7.4 फीसदी थी.

रोजगार दर को बनाए रखना बड़ी चुनौती 

CMIE के मुताबिक इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती रोजगार दर में इजाफे के इस रफ्तार को बनाए रखने की है. क्योंकि उसे लगता है कि रोजगार दर में आगे और गिरावट आ सकती है. 2016 में यह 43 फीसदी थी जो 2019 में 40 फीसदी से भी कम रह गई. 2020 की पहली तिमाही में औसत रोजगार दर 39.2 फीसदी थी. यह स्थिति अप्रैल 2020 में और खराब हो गई. उस वक्त यह 27.2 फीसदी रह गई. इस दौरान 12.2 करोड़ लोगों का रोजगार छिन गया.