Housing Society GST: अब अगर सोसायटी की मेंटेनेंस फीस में इससे ज्यादा ली गई रकम तो देना पड़ेगा मोटा टैक्स
Housing Society GST: आप जिस हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं वहां भी मेंटेनेस देना ही पड़ता होगा. ये खबर सिर्फ आपके लिए ही लिखी गई है. अगर 7500 से ज्यादा दे रहे हैं फीस तो अब 18% GST भी देना पड़ सकता है.
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Housing Society GST: हाउसिंग सोसाइटी के रखरखाव पर लगने वाले शुल्क के ऊपर जीएसटी को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर फैसला आ गया है. अग्रिम निर्णय प्राधिकरण AUTHORITY FOR ADVANCE RULINGS यानि AAR के फैसले के मुताबिक, हर महीने 7500 रुपये से ज्यादा के रखरखाव शुल्क पर अब 18 फीसदी GST भी देना होगा.
GST AAR की महाराष्ट्र पीठ ने अपने फैसले में कहा, अगर हाउसिंग सोसाइटी के प्रति फ्लैट का रखरखाव शुल्क हर महीने 7500 रुपये से ज्यादा होगा, तो पूरी राशि पर 18 फीसदी दर से जीएसटी चुकाना होगा.
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जुलाई में मद्रास हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि सोसाइटी के रखरखाव शुल्क की उसी राशि पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा, जो 7500 रुपये से ज्यादा होगी. मसलन, अगर कोई सोसाइटी 8,000 रुपये मासिक रखरखाव शुल्क लेती है, तो जीएसटी की देनदारी 500 रुपये पर होगी. अब AAR ने साफ किया है कि 7500 की छूट सीमा से ऊपर जाने पर मकान मालिक या किरायेदार को पूरी राशि पर ही जीएसटी देना होगा. हालांकि इसके साथ ही 20 लाख तक सालाना टर्नओवर वाली सोसाइटी को जीएसटी पंजीकरण से भी छूट रहेगी.
ये चीजें शामिल नहीं
AAR ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि हाउसिंग सोसाइटी की ओर से लिया जाने वाला प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली बिल या अन्य शुल्कों को 7500 रुपये के मासिक रखरखाव शुल्क से बाहर रखा जाएगा. हालांकि, इसमें सदस्यों से लिए गए भवन मरम्मत फंड, चुनाव और शिक्षा फंड की राशि को शामिल किया जाएगा, क्योंकि यह रिफंड होने वाली डिपॉजिट में ले नहीं है.
इस सर्कुलर से उलझा मामला
वित्त मंत्रालय ने जुलाई, 2019 में सर्कुलर जारी कर हाउसिंग सोसाइटी के रखरखाव शुल्क पर जीएसटी वसूलने का निर्देश दिया था. मंत्रालय ने 7,500 रुपये की सीमा तय करते हुए जीएसटी वसूली के नियम बनाए थे. साथ ही यह स्पष्ट किया था कि शुल्क की यह सीमा एक से ज्यादा फ्लैट पर भी लागू होगी.
मतलब साफ है कि यदि कोई व्यक्ति दो फ्लैट पर 7500-7500 रुपये रखरखाव शुल्क दे रहा तो उसे पूरी 15,000 की राशि पर जीएसटी से छूट मिलेगी. सर्कुलर के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट की एकल पीठ में अपील हुई, जिसके फैसले को डबल बेंच में चुनौती मिली. एएआर के फैसले के बाद बड़ी पीठ से भी सोसाइटी को झटका मिलने की आशंका है.
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