पड़ोसी बांग्लादेश पिछले कुछ दिनों से अभूतपूर्व संकटों से गुजर रहा है. छात्रों के विरोध से शुरू हुआ आंदोलन देश में तख्तापलट का कारण बन चुका है. इसके चलते बांग्लादेश में न सिर्फ राजनीतिक स्तर पर उठापटक है, बल्कि सामाजिक अस्थिरता का दौर दिख रहा है, जिसके चलते अंतत: बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. पड़ोसी देश में बनी इस अराजक स्थिति से भारत को भी कई नुकसान हो सकते हैं, लेकिन रेटिंग एजेंसी केयरएज की मानें तो भारत के लिए बांग्लादेश की इस आपदा में कुछ अवसर भी बन रहे हैं.


निर्यात से लेकर रोजगार सृजन तक मौके


एएनआई की एक रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी केयरएज के हवाले से कहा गया है- बांग्लादेश में जारी अस्थिरता भारतीय गारमेंट इंडस्ट्री के लिए नए अवसर बना सकती है. भारत के गारमेंट मेकर इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं और वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति का दायरा बढ़ा सकते हैं. यह भारत के लिए निर्यात को बढ़ाने वाला और स्थानीय स्तर पर रोजगारों के बड़े पैमाने पर सृजन करने का कारण भी बन सकता है.


गारमेंट के वैश्विक बाजार में बांग्लादेश का हिस्सा


दरअसल बांग्लादेश अभी गारमेंट इंडस्ट्री के वैश्विक बाजार का बड़ा भागीदार है. रेडिमेड गारमेंट का निर्यात करने के मामले में बांग्लादेश अभी सिर्फ चीन से पीछे है. चीन की मौजूदा हिस्सेदारी लगभग 30 फीसदी है, जबकि बांग्लादेश लगभग 8.5 फीसदी वैश्विक बाजार पर काबिज है. पिछले कुछ सालों में रेडिमेड समेत पूरी गारमेंट इंडस्ट्री में बांग्लादेश ने शानदार तरक्की की है. इससे बांग्लादेश का निर्यात बेहतर हुआ है, स्थानीय स्तर पर लाखों लोगों के लिए रोजगार के मौके तैयार हुए हैं और पड़ोसी देश की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है.


भारत बन सकता है वैश्विक कंपनियों का विकल्प


बांग्लादेश को स्किल्ड वर्कफोर्स और कम लेबर कॉस्ट का फायदा मिलता आया है. इसके चलते वस्त्र व परिधान सेक्टर की कई नामी वैश्विक कंपनियों और फेमस ब्रांडों ने बांग्लादेश में अपना मैन्युफैक्चरिंग का बेस बनाया है. अब जबकि देश अनिश्चितता से घिरा हुआ है, सभी वैश्विक कंपनियां विकल्पों की तलाश करने लगी हैं. ऐसे में भारत उनके लिए बेहतर विकल्प बन सकता है और भारतीय गारमेंट मेकर इस मौके का लाभ उठाकर वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ा सकते हैं.


हर महीने 350 मिलियन डॉलर तक निर्यात के मौके


केयरएज की रिपोर्ट के अनुसार, चीन भले ही गारमेंट एक्सपोर्ट के मामले में अभी पहले स्थान पर काबिज है, लेकिन बीते कुछ सालों में वैश्विक बाजार में उसकी हिस्सेदारी तेजी से कम हुई है. जब वैश्विक कंपनियां चीन का विकल्प खोजने लगीं तो उससे बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों को काफी फायदा हुआ. अब बांग्लादेश में अस्थिरता भारत के लिए मौके बना रही है. केयरएज की मानें तो बांग्लादेश संकट से भारतीय गारमेंट मेकर के सामने निकट भविष्य में 200 से 250 मिलियन डॉलर के मासिक निर्यात के अवसर बन रहे हैं, जबकि मध्यम अवधि में 300 से 350 मिलियन डॉलर हर महीने निर्यात के मौके बन सकते हैं.


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