Railway Coal Update: आज कल की प्रचंड गर्मी के बीच उत्तर भारत में बिजली संकट से निपटने के लिए रेलवे नये-नये प्रयोग कर रहा है. रेलवे ने कोयला की जल्दी सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए नई ट्रेनें चलाने से लेकर क्षमता बढ़ाने तक, सब उपाय कर रहा है. इसके लिए रेलवे रोजाना कुल 459 कोल रेक चलाए जा रहा है. इनमें 429 देसी कोयले की रेक हैं और 49 इम्पोर्टेड कोयले की रेक हैं.


कोयले की सप्लाई बढ़ाने के लिए रेलवे ने ड्रैगन रेक चलाना शुरू किया है. आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि रेलवे ने तीन किलोमीटर लंबी मालगाड़ी चलाई है. यह मालगाड़ी कोरबा से निकलकर उत्तर भारत के पावर प्लांट्स को कोयला पहुंचाने के काम में लगाई गई है. इस मालगाड़ी में कई खास बातें हैं. 240 डब्बों वाली मालगाड़ी से सिर्फ कोयले की सप्लाई की जा रही है.


एक बार में इतनी ढुलाई


जानकारी के मुताबिक एक बार में 16,000 टन कोयले की ढुलाई इस ड्रैगन रेक से हो रही है. यह मालगाड़ी 4 इंजनों के साथ चल रही है. हर रोज़ ऐसी 70 लॉन्ग हॉल मालगाड़ियां शुरू की गई हैं. पिछले 2 हफ़्तों से 2-3 मालगाड़ियों के बराबर की मालगाड़ी हर रोज चल रही हैं. रोजाना पावर हाउसों तक 460 रेक कोयला भेजे जा रहे हैं.


ड्रैगन रेक से चाली कोयला सप्लाई


रेलवे के ट्रैक का अधिकतम क्षमता इस्तेमाल करने के लिए रेलवे ने अब लॉन्ग हाल कोल रेक चलाना शुरू किया है. इस तरह के लंबे रेक को ड्रैगन रेक भी कहा जाता है. इसमें चाल कोल रेक को जोड़ कर एक लॉन्ग हाल रेक बनाई जाती है. एक रेक में 58 वैगन होते हैं. मई में रेलवे अब तक रोजाना ऐसी 70 लांग हॉल ट्रेनें चला चुका है. कुल मिलाकर 1000 ड्रैगन रेक चलाई जा चुकी हैं.


ये है रूट


कोरबा से उत्तर भारत के अलग-अलग पावर हाउस के लिए ये कोयले से लदी ड्रैगन रेक चलाई गई है, जो अब तक की सबसे लंबी रेक में शामिल है.


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