Credit Suisse UBS Deal: अमेरिका से शुरू हुआ मौजूदा बैंकिंग संकट (Banking Crisis 2023) समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. अमेरिका के कुछ बैंकों को शिकार बनाने के बाद इस संकट ने यूरोप के सबसे पुराने बैंकों में से एक क्रेडिट सुईस (Credit Suisse) को भी अपनी जद में लिया, जिससे दुनिया भर के बैंकिंग जगत में घबराहट पसर गई. यही कारण है कि स्विट्जरलैंड की सरकार ने दखल देकर इसका समाधान निकालने की कोशिश की, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि मामला लंबा खिंचने वाला है. दरअसल स्विट्जरलैंड की संसद ने सरकार के द्वारा आनन-फानन में तैयार बचाव पैकेज को खारिज कर दिया है.
लोअर हाउस में अटका मामला
स्विट्जरलैंड सरकार की दखल के बाद वहीं का एक अन्य प्रमुख बैंक यूबीएस (UBS) संकटग्रस्त क्रेडिट सुईस को खरीदने के लिए तैयार हुआ था. सरकार ने इस डील के लिए 109 बिलियन स्विस फ्रैंक यानी 120.82 बिलियन डॉलर का बचाव पैकेज तैयार किया था. स्विस पार्लियामेंट के अपर हाउस ने पैकेज में सरकारी योगदान को मंजूरी दे दी है, लेकिन मामला लोअर हाउस में अटक गया है. संसद के बड़े सदन ने बुधवार को भी बचाव पैकेज को खारिज कर दिया.
नाकाफी साबित हुए दो दिन के प्रयास
पैकेज को लेकर लोअर हाउस में दो दिनों से प्रयास चल रहे थे. सबसे पहले मंगलवार को सरकार ने इसे पास कराने का प्रयास किया, लेकिन देर रात तक चली कार्यवाही के बाद लाअर हाउस ने पैकेज को खारिज कर दिया. इसके बाद सरकार ने बुधवार को दोबारा पैकेज पास करने का प्रयास किया, लेकिन उसके हाथ नाकामी ही आई. लोअर हाउस में पैकेज के पक्ष में 71 वोट आए, जबकि 103 वोट इसे खारिज करने के लिए मिले.
अभी भी बन सकती है बात
हालांकि जानकारों के हवाले से रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार इसके बाद भी संबंधित पैकेज पर आगे बढ़ सकती है. सरकार ने आपातकालीन कानून का इस्तेमाल करते हुए इस पैकेज का प्रस्ताव किया है, ऐसे में इस पर रोक लगाना संभव नहीं है. हालांकि इससे यह संकेत जरूर मिलेगा कि सरकार का फैसला सर्वसम्मति पर आधारित नहीं है.
स्विस सांसदों की ऐसी है राय
पैकेज का पक्ष लेने वाले सांसदों का कहना है कि वे स्विट्जरलैंड की छवि को लेकर चिंतित हैं. स्विट्जरलैंड को लंबे समय से वैश्विक बैंकिंग का केंद्र माना जाता रहा है. स्विट्जरलैंड की अर्थव्यवस्था में इस सेक्टर का काफी बड़ा योगदान भी है. ऐसे में अगर वहां का कोई 150 साल से भी ज्यादा पुराना बैंक डूब जाता है, तो बैंकिंग जगत में बनी उसकी छवि प्रभावित होगी. वहीं विरोध कर रहे सांसदों का कहना है कि वे इस तरह की फंडिंग का सपोर्ट नहीं कर सकते हैं.
नहीं बिकता तो हो जाता बर्बाद
आपको बता दें कि कई दिनों की जद्दोजहद के बाद यूबीएस बैंक क्रेडिट सुईस को 3.25 बिलियन डॉलर में खरीदने पर सहमत हुआ था. स्विट्जरलैंड के वित्त मंत्री Karin Keller-Sutter ने तब कहा था कि अगर संकट में फंसा क्रेडिट सुईस बैंक नहीं बिकता तो वह बाजार में एक भी दिन नहीं टिक पाता. यही वजह थी कि क्रेडिट सुईस की बिक्री के सौदे को अमलीजामा पहुंचाने के लिए खुद स्विट्जरलैंड की सरकार को दखल देना पड़ गया.
कई सरकारें हो गईं परेशान
क्रेडिट सुईस के बैंकिंग संकट में फंसने से न सिर्फ स्विट्जरलैंड बल्कि अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक की सरकारों के कान खड़े हो गए थे. हर कोई जल्दी से जल्दी संकट का समाधान निकालना चाहता था, ताकि मौजूदा बैंकिंग संकट विकराल रूप न ले ले. क्रेडिट सुईस इस बार के बैंकिंग संकट का शिकार होने वाला सबसे बड़ा नाम है. 167 साल पहले शुरू हुए इस बैंक को बैंकिंग की दुनिया में बड़ा प्रतिष्ठित नाम माना जाता रहा था. यूबीएस ने इस डील के लिए शुरुआत में महज 01 बिलियन डॉलर तक का ऑफर दिया था, जिसे क्रेडिट सुईस ने काफी कम बताया था. बाद में यूबीएस ने ऑफर बढ़ा कर 3.25 बिलियन डॉलर कर दिया था.
वारेन बफे ने भी जताई चिंता
अमेरिका से शुरू हुआ मौजूदा बैंकिंग संकट (Banking Crisis) विश्लेषकों को 2008 के बैंकिंग संकट की याद दिला रहा है. अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक, सिग्नेचर बैंक, फर्स्ट रिपब्लिक बैंक, वेस्टर्न पैसिफिक बैंक आदि मौजूदा संकट के शिकार बन चुके हैं. जर्मनी के सबसे बड़े बैंक दोयचे बैंक के ऊपर भी कोलैप्स होने का खतरा मंडरा रहा है. इस बीच दिग्गज इन्वेस्टा वारेन बफे ने भी बैंकिंग संकट को लेकर चेतावनी जारी की है और साफ कहा है कि यह संकट अभी टला नहीं है. हालांकि बफे ने साथ ही यह भी जोड़ा कि अमेरिकी डिपॉजिटर्स को इससे घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि उनका पैसा सुरक्षित है.
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