Economic Survey 2025: आर्थिक सर्वेक्षण होगा संसद में पेश, देश के आर्थिक विकास का लेखाजोखा आएगा सामने
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey 2025) देश के बुनियादी ढांचे, कृषि और उद्योग के विकास पर केंद्रित एक विस्तृत रिपोर्ट है. रिपोर्ट के अनुसार, अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान था.
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Economic Survey 2025: बजट सत्र सुबह 11 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दोनों सदनों को संबोधित करने के साथ शुरू होगा. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राज्यसभा और लोकसभा में अलग-अलग आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के पेश करेंगी.
आर्थिक सर्वेक्षण एक संक्षिप्त रिपोर्ट है जो देश के बुनियादी ढांचे, कृषि और उद्योग के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है और संभावित विकास क्षेत्रों पर प्रकाश डालती है. यह दस्तावेज़ों का एक सेट है जो देश के विभिन्न क्षेत्रों का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की शुरुआत में अर्थव्यवस्था के 7 परसेंट की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था. यह 2023-24 की 8.2 परसेंट विकास दर से कम थी. चूंकि भारत दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, इसलिए एक अनुमान सामने आया कि भारत 2024-25 अंत तक 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था 6.6 फीसदी से बढ़ेगी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.6 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. यह काफी हद तक मजबूत निजी खपत और निवेश से प्रेरित है. 31 जनवरी को राष्ट्रपति भाषण के साथ यह सत्र शुरू होने वाला है और 13 फरवरी तक चलेगा.1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा, उसके बाद जवाबी सत्र शुरू होगा. राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्तीय विधेयक और प्रमुख कानूनों में संशोधन जैसे कुछ कानूनों पर चर्चा होगी.
आर्थिक सर्वेक्षण की जरूरत क्यों है?
आर्थिक सर्वेक्षण सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में मदद करता है और यह दर्शाता है कि देश को किन आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा, यह पिछले एक वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन का विश्लेषण करता है और भविष्य की संभावित नीतियों के सुझाव देता है. आर्थिक सर्वेक्षण आमतौर पर दो भागों में विभाजित होता है. इसमें पहले भाग में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन, वित्तीय स्थिति और राजकोषीय नीतियों से संबंधित डेटा शामिल होता है. जबकि, दूसरे भाग में शिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक-आर्थिक पहलुओं का विश्लेषण किया जाता है.
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