जून तिमाही में देश की इकनॉमी में 20 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है. देश के कई अर्थशास्त्रियों के अनुमान के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी (-)13.6 फीसदी से लेकर (-) 25.5 फीसदी तक गिर सकती है. कोरोनावायरस संक्रमण को काबू करने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से इकनॉमी बुरी तरह प्रभावित हुई है. इस बीच, एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने चालू वित्त वर्ष ( 2020-21) की जीडीपी में भी 16.5 फीसदी की भारी गिरावट का अनुमान जताया है.


लॉकडाउन में ढील दिए जाने की प्रक्रिया (अनलॉकिंग) से इकनॉमी में थोड़ी तेजी की संभावना जताई जा रही है. हालांकि जुलाई-सितंबर की जीडीपी के आंकड़े भी संशोधित किए जा सकते हैं. इसमें भी कमी आने की आशंका है.


जुलाई-सितंबर में भी हालत रहेगी खराब


अर्थशास्त्रियों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर लगने वाले लॉकडाउन का असर जुलाई-सितंबर की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. लॉकडाउन की वजह से वस्तुओं और सेवाओं की मांग में कमी को देखते हुए इस तिमाही में भी इकनॉमी में बड़ी गिरावट आ सकती है.


देश के पूर्व चीफ स्टेटिस्टिशयन प्रणब सेन ने इकनॉमी में 20 फीसदी की भारी गिरावट का अनुमान लगाया है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि यह अनुमान एमएसएमई को कृषि सेक्टर में आई गिरावट को कवर नहीं करता है.


बैंकों और वित्तीय एजेंसियों का अनुमान


अलग-अलग बैंकों और वित्तीय एजेंसियों ने भी इकनॉमी में भारी गिरावट की आशंका व्यक्त की है. बार्कलेज ने अप्रैल-जून में इकनॉमी के 25.5 फीसदी तक गिरने की आशंका व्यक्त की है वहीं इक्रा ने 25 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है. एचडीएफसी बैंक ने कहा है कि अप्रैल-जून तिमाही में 21 फीसदी की गिरावट आ सकती है. एसबीआई ने कहा कि इस तिमाही में इकनॉमी में 16 फीसदी की गिरावट आ सकती है. इंडिया रेटिंग का अनुमान है कि इकनॉमी 13.6 फीसदी गिर सकती है.


सेन ने कहा कि तिमाही के जीडीपी अनुमान अमूमन कॉरपोरेट रिजल्ट से जुड़े होते हैं. हालांकि ये रिजल्ट अनुमान से ज्यादा अच्छे रहे हैं. इसके अलावा कृषि सेक्टर में भी 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है. आवश्यक वस्तु जैसे एफएमसीजी, फार्मास्यूटिकल्स जैसी चीजों की लगातार मैन्यूफैक्चरिंग और सप्लाई करनी होगी. मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में इनकी हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी है.


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