Electricity Subsidy: इसी महीने की 29 तारीख से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament winter session) में केंद्र सरकार एक नया बिजली संशोधन बिल (Electricity Amendment Bill) भी लाने वाली है. माना जा रहा है कि ये बिजली संशोधन बिल का ड्राफ्ट लगभग फाइनल हो चुका है. इस बिल में सबसे मुख्य बात यह है कि आप बिजली कंपनियों को सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी (Electricity subsidies) नहीं दी जाएगी, बल्कि सरकार ये रकम ग्राहकों के बैंक खाते में सब्सिडी को डायरेक्ट ट्रांसफर (Direct Benefit Transfer) करेगी.


यह बिल्कुल उसी तरह होगा जैसा कि रसोई गैस की सब्सिडी में होता है. इस बिल के माध्यम से बिजली वितरण (Power distribution) को डी-लाइसेंस (De-license) करने का प्रस्ताव लाया जाएगा. इसका फायदा ये होगा कि बिजली वितरण के प्राइवेट प्लेयर सरकारी वितरण कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे. साथ ही बिजली उपभोक्ता ये चुनाव कर पाएंगे कि वे बिजली वितरण करने वाली कंपनियों में से किससे बिजली लेना चाहते हैं.


बजट में हुआ था ऐलान


पिछले बजट में इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा था कि सरकार ऐसा एक फ्रेमवर्क लाने पर काम कर रही है. वैसे इस संशोधन पर महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल पहले ही ऐतराज जता चुके हैं.


उपभोक्ताओं पर ये होगा असर


माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले का असर बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. अभी तक राज्य सरकारें बिजली मुहैया करने वाली कंपनियों को एडवांस में सब्सिडी देती हैं. इसी सब्सिडी के आधार पर बिजली की दरें तय की जाती हैं. बिजली कंपनियों को सब्सिडी न मिलने का असर सीधा सीधा ग्राहक पर पड़ेगा.


बिजली उपभोक्ताओं के बिल में इजाफा होने की संभावनाएं हैं. हालांकि बिल में यह भी कहा गया है कि ग्राहकों के खातों में सीधा पैसा ट्रांसफर किया जाएगा, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि किन ग्राहकों को सब्सिडी मिलेगी और किन्हें नहीं.


कंपनियों को मिलेगी ये छूट


नए कानून से बिजली कंपनियों की लागत के आधार पर उभोक्ताओं से बिल वसूलने की छूट मिलेगी. एक आंकड़े के अनुसार, अभी बिजली उत्पादन कंपनियों की लागत ग्राहकों से वसूले जाने वाले बिल से 0.47 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा है, जिसकी भरपाई कंपनियां सब्सिडी से करती हैं. तो अब ये अतिरिक्त बोझ लोगों पर पड़ने वाला है.


सरकार क्यों ला रही है यह बिल


मौजूदा समय में देश की कई बिजली वितरण कंपनियां नुकसान में चल रही हैं. डिसकॉम्स पर कंपनियों का 95 हजार करोड़ बकाया है. डिसकॉम को सब्सिडी मिलने में देरी होती है, जिससे वितरण कंपनियां संकट में हैं. ऐसे में कंपनियों को इस संकट से उभारने के लिए सरकार यह बिल रही है.


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