Online Drug Sale: कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ई-फार्मेसी (e-pharmacy) पर लगाम लगाने की मांग की है. कैट की ओर से लगातार ऑनलाइन प्‍लेटफार्मों पर नकली, गलत या मिलावटी दवाएं बेचने वालों पर शिकंजा कसने की अपील की जाती रही थी. इनके मुताबिक ई-फार्मेसी के नाम पर ये ऑनलाइन कंपनियां उन दवाओं को भी बेच रही हैं, जिनकी अनुमति नहीं है.


कैट का कहना है कि देश में अनेक बड़े विदेशी और देसी कॉर्पोरेट कंपनियां ऑनलाइन फ़ार्मेसी से दवाओं की आपूर्ति करने के दौरान ड्रग एवं कॉस्मैटिक क़ानून का लगातार उल्लंघन कर रही हैं. उनके मुताबिक इससे न केवल देश के करोड़ों थोक और खुदरा केमिस्टों के व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं बल्कि उपभोक्ता विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण भारतीय उपभोक्ताओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है.


स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक


कैट का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेगा और उन्हें देश में ई-फार्मेसियों के नियम एवं कानून के स्पष्ट उल्लंघन के बारे में अवगत कराएगा. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश में दवाओं का निर्माण, आयात, बिक्री और वितरण औषधि और प्रसाधन सामग्री क़ानून और नियमों द्वारा नियंत्रित होता है.


ये हैं प्रावधान


इस अधिनियम के नियम कड़े हैं और न केवल प्रत्येक आयातक, निर्माता, विक्रेता या दवाओं के वितरक के लिए एक वैध लाइसेंस होना अनिवार्य है, बल्कि यह भी अनिवार्य है कि सभी दवाओं को केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही दिया जाए. हालांकि, ई-फार्मेसी मार्केटप्लेस हमारे देश के कानून की खामियों का दुरुपयोग कर रहे हैं.


यही नहीं ये प्लेटफॉर्म बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाएं बेचकर और पंजीकृत फार्मासिस्ट के बिना दवाओं का वितरण करके निर्दोष भारतीय उपभोक्ताओं के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने कहा ई फार्मेसी, टाटा 1एमजी, नेटमेड्स और अमेज़ॅन फार्मेसी जैसे ई-फार्मेसी मार्केटप्लेस इन घोर उल्लंघनों में सबसे आगे हैं और इन के मनमाने रवैये पर जल्द अंकुश लगना चाहिए.


केवल इन्हें मिले मंजूरी


कैट ने ये भी कहा है कि सरकार को केवल उन्हीं ई-फार्मेसियों को अनुमति देनी चाहिए जिनके पास ऐसी दवाएं हैं जिन्हें ई-फार्मेसी पर बेचने की अनुमति है और इसके अतिरिक्त सभी शेष ई-फार्मेसी को बंद करने के निर्देश देने चाहिए. साथ ही, किसी भी व्यक्ति को ई-फार्मेसी इकाई और उपभोक्ता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए वेब पोर्टल स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.


लगे मोटा जुर्माना


भरतिया और खंडेलवाल ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि सभी दवाएं केवल पंजीकृत खुदरा फार्मेसी से वितरित की जाए हैं क्योंकि केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा उचित सत्यापन प्रक्रिया का पालन करने के बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि उपभोक्ताओं को ठीक वही मिले जो वे ऑर्डर करते हैं.


दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि सरकार को न्यूनतम 1 लाक रुपये का जुर्माना लगाना चाहिए जो कि 10 लाख रुपये तक हो सकता है ताकि फार्मेसी, नेटमेड्स, अमेजन फार्मेसी, टाटा 1 एमजी जैसे उल्लंघनकर्ताओं को उपयुक्त रूप से दंडित किया जा सके.


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