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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Pvt Vs Govt Banks: 53 सालों में हुआ पहली बार, इस मामले में प्राइवेट बैंकों से पिछड़े सरकारी बैंक

Banking Employees: पिछले आठ सालों के दौरान सरकारी बैंकों के ऊपर फंसे कर्ज का बोझ बढ़ा है. यही कारण है कि सरकारी बैंकों की बाजार हिस्सेदारी में तेज गिरावट आई है...

Banking In India: देश को आजाद हुए 75 साल से ज्यादा हो चुके हैं और इस दौरान भारतीय बैंकिंग की दुनिया (Indian Banking Sector) ने कई अहम बदलावों को देखा है. बैंकिंग की दुनिया ने राष्ट्रीयकरण (Bank Nationalisation) के साथ प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की विदाई को भी देखा है और फिर से बैंकिंग जगत में निजी पूंजी का दौर लौटने का भी गवाह बना है. उदारीकरण के बाद निजी बैंकों ने तेज तरक्की की है. खासकर पिछले कुछ सालों के दौरान निजी बैंकों की हिस्सेदारी हर मामले में बढ़ी है. यही कारण है कि निजी बैंकों ने कर्मचारियों के मामले में पिछले 53 साल में पहली बार सरकारी बैंकों को पीछे छोड़ दिया है.

कर्ज का बोझ बढ़ने का असर

मिंट की एक खबर के अनुसार, पिछले आठ सालों के दौरान सरकारी बैंकों के ऊपर फंसे कर्ज का बोझ बढ़ा है. यही कारण है कि सरकारी बैंकों की बाजार हिस्सेदारी में तेज गिरावट आई है. बाजार में हिस्सेदारी कम होने का असर सरकारी बैंकों के ऊपर कर्मचारियों की संख्या के मामले में भी हुआ. रिजर्व बैंक के आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं.

कभी थी 85 फीसदी हिस्सेदारी

आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि आजादी के करीब 22 साल बाद यानी साल 1969 में भारत ने बैंकिंग की दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव देखा. तत्कालीन सरकार ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण का फैसला किया. इसके बाद सरकार ने उस समय के 14 सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया. इस तरह कुल जमा के हिसाब से करीब 85 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों की हो गई. एक वह समय था और एक अब. हालांकि अभी भी सरकारी एसबीआई ही देश का सबसे बड़ा बैंक है, लेकिन ओवरऑल बैंकिंग सेक्टर में सरकारी बैंक पिछड़ गए हैं.

ऐसे कम होता गया आधार

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2013 से मार्च 2022 के दौरान सरकारी बैंकों का कर्मचारी आधार 13 फीसदी कम हुआ है, जबकि दूसरी ओर प्राइवेट बैंकों के मामले में यह 2.4 गुणा बढ़ा है. यही कारण है कि बैंकिंग सेक्टर में सरकारी बैंकों की कर्मचारियों की हिस्सेदारी इस दौरान 73 फीसदी से कम होकर 49 फीसदी पर आ गई है. दूसरे शब्दों में कहें तो अब बैंकिंग सेक्टर के 51 फीसदी लोग प्राइवेट बैंकों की नौकरी कर रहे हैं, जबकि सरकारी बैंकों में अब 49 फीसदी कर्मचारी काम कर रहे हैं.

बैंकिंग सेक्टर में कर्मचारियों का आंकड़ा बीते सालों के दौरान किस तरह से शिफ्ट हुआ है, इस चार्ट में देखें...

वित्त वर्ष सरकारी बैंकों के कर्मचारी प्राइवेट बैंकों के कर्मचारी
2005-06 724289 175835
2006-07 715695 183712
2007-08 664768 174001
2008-09 685620 183792
2009-10 727775 198253
2010-11 775688 275197
2011-12 867399 307750
2012-13 886490 334241
2013-14 842813 411142
2014-15 859692 431850
2015-16 827283 473651
2016-17 826840 523051
2017-18 807448 573013
2018-19 808400 646555
2019-20 770409 764788
2020-21 770800 791721
2021-22 770812 790926
(स्रोत: आरबीआई)

अब हो रहे हैं ऐसे बदलाव

मिंट की रिपोर्ट बताती है कि बदलती प्रौद्योगिकी के साथ बैंकिंग सेक्टर नए बदलाव का साक्षी बन रहा है. बीते सालों के दौरान बैंकिंग सेक्टर में स्मॉल फाइनेंस बैंक तेजी से बढ़े हैं. पांच साल से भी कम समय में स्मॉल फाइनेंस बैंक के कर्मचारियों की संख्या तीन गुनी हुई है.

तकनीक से कम हुई इनकी जरूरत

इस बदलाव से सरकारी बैंक भी अप्रभावित नहीं हैं. सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की श्रेणी का अनुपात बदल रहा है. तकनीक ने लोगों के लिए बैंकों की शाखाएं जाने की जरूरत को कम किया है. मार्च 2013 से मार्च 2022 के दौरान सरकारी बैंकों में अफसरों की संख्या 21 फीसदी बढ़ी है, जबकि क्लर्कों और सब-स्टाफ की संख्या क्रमश: 17 फीसदी और 30 फीसदी कम हुई है.

ये भी पढ़ें: नए वित्त वर्ष में खूब मिलेंगे कमाने के मौके, आईपीओ लाने की कतार में 54 कंपनियां

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