चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में नरमी आई है. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 की तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.7 फीसदी पर आ गई, जो बीते 15 महीने में सबसे कम है. आंकड़े सामने आने के बाद नरमी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ने का कारण क्या है.


चुनाव ने अर्थव्यवस्था पर डाला ऐसा असर


रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि जून तिमाही में अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार पर चुनावों का असर पड़ा है. वह शनिवार को संवाददातओं से बातचीत कर रहे थे. उनका मानना है कि लोकसभा चुनाव 2024 के चलते आचार संहिता के लागू रहने से पहली तिमाही के दौरान सरकारी खर्च पर असर पड़ा. आचार संहिता के चलते सार्वजनिक खर्च में कमी आई, जिसका असर पहली तिमाही के आर्थिक आंकड़ों पर पड़ा.


मुख्य आर्थिक सलाहकार भी दे चुके यही तर्क


इससे पहले सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन भी जीडीपी ग्रोथ रेट कम होने के लिए चुनाव को जिम्मेदार बता चुके हैं. उन्होंने भी कहा था कि लोकसभा चुनाव 2024 और सरकार के पूंजीगत खर्च में आई कमी के चलते पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि की दर प्रभावित हुई. अब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी वही तर्क दिया है.


आरबीआई ने दिया था इतना अनुमान


जून तिमाही की आर्थिक वृद्धि दर के आधिकारिक आंकड़े पर इस कारण भी चर्चा हो रही है कि वह आरबीआई के अनुमान से काफी कम है. रिजर्व बैंक ने अनुमान दिया था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने वाली है.


इन 2 फैक्टर्स से पड़ा ग्रोथ रेट पर असर


इसे लेकर शक्तिकांत दास ने कहा- रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही के लिए 7.1 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान दिया था. हालांकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा जारी पहले एडवांस एस्टिमेट में ग्रोथ रेट 6.7 फीसदी आई है. जीडीपी ग्रोथ को बढ़ाने वाले मुख्य कारकों जैसे उपभोग, निवेश, विनिर्माण, सेवा और निर्माण की ग्रोथ रेट 7 फीसदी से ज्यादा रही है. सिर्फ दो फैक्टर ने ग्रोथ रेट को नीचे किया और वे हैं सरकारी खर्च और कृषि.


आने वाली तिमाहियों में तेज होगी आर्थिक वृद्धि


गवर्नर दास ने कहा- सरकारी खर्च में कमी आने का कारण संभवत: पहली तिमाही के दौरान लागू चुनावी आचार संहिता है. हमें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में सरकारी खर्च में तेजी आएगी और उससे आर्थिक वृद्धि को जरूरी सपोर्ट मिलेगा. पहली तिमाही में कृषि की ग्रोथ रेट सिर्फ 2 फीसदी रही है. मानसून के अच्छा रहने से इसमें भी सुधार की उम्मीद है. कुल मिलाकर आने वाली तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर सुधरने की उम्मीद है.


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