पत्नी के करियर के लिए दिग्गज कंपनी के सीईओ ने छोड़ दिया 750 करोड़ रुपये का बोनस
बोर्ड में महिलाओं को प्रतिनिधि न देने से कंंपनी की हो रही थी आलोचना. सीईओ के इस कदम को कंपनी के लिए पब्लिसिटी स्टंट माना जा रहा है.
ऑनलाइन जर्मन ऑनलाइन फैशन रिटेलर जलांडो एसई के को-सीईओ रुबिन रिटर ने पत्नी के करियर के लिए 750 करोड़ रुपये को बोनस छोड़ने का फैसला किया है. रुबिन रिटर ने कहा है कि वह अगले साल रिटायर हो जाएंगे ताकि उनकी पत्नी को अपना करियर आगे बढ़ाने में मदद मिले. अब घर और बच्चों की जिम्मेदारी वह संभालेंगे. रिटर अगर ऐसा करते हैं तो उन्हें 10 करोड़ डॉलर यानी लगभग 750 करोड़ रुपये का बोनस छोड़ना होगा.
बोर्ड में महिलाओं की नुमाइंदगी न होने से कंपनी की आलोचना
6 दिसंबर ( 2020) को जारी एक बयान में रिटर ने कहा कि हमने मिलकर यह फैसला किया है. आने वाले वर्षों में पत्नी के करियर को रफ्तार देना हमारी प्राथिमकता है. रिटर की पत्नी जज हैं. हालांकि रिटर के इस फैसले को बर्लिन स्थित कंपनी जलांडो एसई के लिए पब्लिसिटी स्टंट माना जा रहा है. यह कंपनी जेंडर असमानता को लेकर कंज्यूमर के निशाने पर रही है. जलांडो एसई के ज्यादातर ग्राहक महिलाएं हैं लेकिन पांच सदस्यीय बोर्ड में सारे श्वेत पुरुष हैं. पिछले साल ऑल ब्राइट फाउंडेशन ने बोर्ड में किसी भी महिला को न रखने के लिए इसकी खासी आलोचना की थी. इसके बाद कंपनी ने टॉप एक्जीक्यूटिव लेवल पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का वादा किया था. कंपनी ने कहा था कि वह 2023 तक मैनेजमेंट बोर्ड में महिलाओं की नुमाइंदगी बढ़ा कर 40 फीसदी कर देगी.
जेंडर-गैप के मामले में जलांडो जर्मनी की सबसे पिछड़ी कंपनी
दरअसल जलांडो में टॉप लेवल पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व का न होना कोई अचरज की बात नहीं है. यूरोपीय देशों में से जर्मनी जेंडर पे-गैप में काफी आगे है. यहां की कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का स्तर यूरोपीय देशों में सबसे कम है. ऑलब्राइट फाउंडेशन के मुताबिक जर्मनी की सबसे बड़ी 160 कंपनियों में के बोर्ड में सिर्फ 9.3 फीसदी महिलाएं हैं. जलांडो फैशन, सॉफ्टवेयर और लॉजिस्टिक की अपनी क्षमताओं की बदौलत कपड़ों की सबसे बड़ी रिटेलर कंपनी बन गई है. परंपरा के उलट इसे तीन को-सीईओ मिल कर चलाते हैं.
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