कारोबारी सुगमता यानी ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रैंकिंग में लगातार ऊपर चढ़ने के बावजूद भारत में बिजनेस करना आसान नहीं है. फॉक्सकॉन, सैमसंग, विस्ट्रन और याजाकी जैसी ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों ने भारत में औद्योगिक परियोजना हासिल करने में होने वाली दिक्कतों पर सवाल उठाया है. इन कंपनियों का कहना है कि भारत में मल्टीप्ल क्लीयरेंस की दिक्कतें और हैं और परियोजनाओं पर रेस्पॉन्स टाइम भी काफी ज्यादा है. इन कंपनियों ने बड़े निवेश आकर्षित करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की जरूरत पर जोर दिया है.
निवेश प्रस्तावोंं की मंजूरी में देरी
हाल में डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड यानी DPIIT की बैठक में ग्लोबल मैन्यूफैक्चरर्स की ओर से उठाए गए इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी. सरकार ने जिन निवेश योजनाओं की घोषणाएं की थीं, उनमें सिंगल विंडो सिस्टम को जल्द से जल्द लागू करने पर चर्चा की गई थी. इस चर्चा में यह बात कर उभर कर आई कि ग्लोबल मैन्यूफैक्चरर्स के लिए यहां कई स्तर पर क्लीयरेंस लेने की अनिवार्यता उन्हें निवेश के लिए हतोत्साहित करती है. इसके अलावा उन्हें इस बात की सूचना भी नहीं मिल पाती कि उनके निवेश प्रस्तावों पर बात कितना आगे बढ़ी है.
सिंगल विंडो सिस्टम बनाने की तैयारी
DPIIT एक पैन इंडिया सिंगल विंडो क्लीयरेंस सेल बनाने की तैयारी कर रहा है ताकि केंद्र और राज्य सरकार दोनों की ओर से जरूरी लाइसेंस की अनिवार्यता एक ही जगह पूरी हो जाए. अधिकारियों का मुताबिक पैन इंडिया सिंगल विंडो सिस्टम बनाना बेहद जटिल और भारी काम है. लेकिन इसे जल्द से जल्द बनाने के लिए पांच से छह राज्यों से बात की जा रही है. पहले पेज में ये राज्य इस पैन इंडिया सिंगल विंडो सिस्टम का हिस्सा होंगे.
जिन राज्यों में प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम हैं, उन्हें सेल में शामिल कर लिया जाएगा. DPIIT ने कहा है कि फॉक्सकॉन, सैमसंग और याजाकी जैसी कंपनियों की इस चिंता को संबंधित मंत्रालयों से साझा किया गया है. मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी एक कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि सिंगल विंडो सिस्टम न होने से देश के हाथ से भारतीय विदेशी मैन्यूफैक्चरिंग के निवेश प्रस्ताव निकल सकते हैं. देश में कोविड-19 की वजह से पैदा बेरोजगारी को देखते हुए मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े निवेश की जरूरत है. इन कंपनियों के संयंत्रों में बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिलेगा.