स्टार्ट-अप कंपनियों में चीन के निवेश को मंजूरी देने की तैयारी कर रही है सरकार
भारतीय स्टार्ट-अप कंपनियों में सबसे ज्यादा चीन के निवेशकों का फंड लगा है. अचानक चीनी निवेश पर रोक से इन कंपनियों के सामने फंड का संकट खड़ा हो गया है.
भारतीय स्टार्ट-अप्स की चीनी फंडिंग पर बहुत ज्यादा निर्भरता की वजह से सरकार अब वहां के निवेशकों से जुड़े कई स्टार्टअप और तकनीकी सौदों को मंजूरी दे सकती है.‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ की एक खबर के मुताबिक सरकार उन मामलों में हरी झंडी देने पर विचार कर रही है, जिसमें चीन के निवेशकों को किसी घरेलू कंपनी में 10 फीसदी हिस्सेदारी देने की बात चल रही है. गृह मंत्रालय से सुरक्षा संबंधी मंजूरी मिलने के बाद अगले कुछ हफ्तों में सरकार इस मुद्दे पर अपनी सहमति दे सकती है.
भारतीय स्टार्ट-अप्स में सबसे ज्यादा चीनी निवेशकों का फंड
दरअसल भारतीय स्टार्ट-अप कंपनियों में सबसे ज्यादा चीन के निवेशकों का फंड लगा है. अचानक चीनी निवेश पर रोक से इन कंपनियों के सामने फंड का संकट खड़ा हो गया है. यही वजह है कि सरकार चीनी निवेशकों वाले स्टार्ट-अप से जुड़े तकनीकी सौदों को मंजूरी देने की तैयारी में है. सरकार अगर यह कदम उठाती है तो कैश की कमी से जूझ रही कई भारतीय स्टार्ट-अप कंपनियों को राहत मिल सकती है.
सरकार के पास 100 से ज्यादा प्रस्ताव विचाराधीन
इस वक्त भारत में निवेश की इच्छुक कई चीनी कंपनियों के कई एफडीआई प्रस्ताव विचाराधीन है. अप्रैल से चीन के निवेशकों के लगभग 100 आवेदन विभिन्न विभागों में विचारधीन हैं. इनमें ज्यादातर आवेदन उन क्षेत्रों से हैं, जो आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील नहीं माने जाते हैं. केवल स्टार्टअप ही नहीं, बल्कि चीन की कंपनियों ने भी वाहन क्षेत्रों में निवेश की दिलचस्पी दिखाई है. गाड़ियों का निर्माण करने वाली दो बड़ी चीनी कंपनियों के आवेदन भी विचाराधीन हैं.सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि नए एफडीआई दिशानिर्देश केवल नए निवेश प्रस्तावों पर ही लागू होंगे और पुराने निवेश इसके दायरे में नहीं आएंगे.
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