भारत के सेवा क्षेत्र का निर्यात (Service Sector Export) तेजी से वृद्धि कर रहा है. चालू वित्त वर्ष में इसके 300 बिलियन डॉलर के पार निकल जाने की उम्मीद है. वहीं भारत के सेवा क्षेत्र के निर्यात के आंकड़े को 01 ट्रिलियन डॉलर के पार ले जाने की भी तैयारियां चल रही हैं. सर्विस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के डाइरेक्टर जनरल अभय सिन्हा (SEPC Director General Abhay Sinha) ने इसकी जानकारी दी.
एसईपीसी को इन कारणों से उम्मीद
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, एसईपीसी के डाइरेक्टर जनरल अभय सिन्हा ने कहा कि विदेश व्यापार नीति में समर्थन के जो उपाय किए गए हैं,वे निर्यात को और बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक अवसरों को भुनाने के मौके देखे जा रहे हैं, ताकि सेवा क्षेत्र के निर्यात को साल 2030तक 01 ट्रिलियन के पार ले जाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
सिन्हा ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (IT), आईटीईएस (ITES), पर्यटन (Tourism) और स्वास्थ्य (Healthcare) जैसे क्षेत्र सर्विस एक्सपोर्ट की ग्रोथ को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में जिस रफ्तार से सर्विस सेक्टर का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है, यह 300 बिलियन डॉलर के स्तर को पार कर सकता है.
अभी इतना है सर्विस एक्सपोर्ट
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों यानी अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के दौरान सेवा क्षेत्र के निर्यात की अनुमानित वैल्यू 272 बिलियन डॉलर रही है. साल भर पहले की समान अवधि में इसकी वैल्यू 206.28 बिलियन डॉलर रही थी. सर्विस सेक्टर के निर्यात का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा 254 बिलियन डॉलर का है, जो 2021-22 में हासिल हुआ था.
ये सेक्टर्स देते हैं ज्यादा योगदान
आंकड़ों के अनुसार, सर्विस सेक्टर के कुल निर्यात में आईटी व आईटीएस का 40 से 45 फीसदी योगदान रहता है. इसके बाद यात्रा एवं पर्यटन, शिक्षा और बैंकिंग समेत वित्तीय सेवाओं का स्थान रहता है. भारत के सेवा क्षेत्र के निर्यात में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी विकसित देशों की रहती है. संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते सेवा क्षेत्र के निर्यात को बढ़ाने में और मददगार साबित हो सकते हैं.