नई दिल्ली: लोग अक्सर अपने क्रेडिट कार्ड का बिल ईएमआई के जरिए चुकाते हैं. कोरोना महामारी के बाद लागू हुए लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है, कई लोगों की नौकरी भी गई है. ऐसे में लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल पहले से ज्यादा करने लगे हैं और पैसे बचाने की कोशिश में क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने के लिए ईएमआई का विक्लप चुन रहे हैं. हालांकि ईएमआई के जरिए क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान इसकी जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं है. हम आपको ईएमआई से बिल चुकाने के फायदे और नुकसान बताते हैं.
ईएमआई विकल्प किसे कहते हैं
आप जब क्रेडिट कार्ड का बिल एक साथ न चुका कर छोटी किस्तों में बांटकर कुछ महीनों में चुकाते हैं तो इसे ही ईएमआई कहा जाता है. ईएमआई के कई ऑफर अक्सर बैंक और एनबीएफसी की तरफ से आते रहते हैं.
हालांकि बैंक अपने हिसाब से ईएमआई का ऑप्शन देते हैं लेकिन ज्यादातर बैंक 3 महीने से लेकर 2 साल तक ईएमआई बनाने का विकल्प देते हैं. आप जितने महीनों का विकल्प चुनेंगे ईएमआई की रकम उस हिसाब से तय होती है.
क्या हो सकते हैं ईएमआई के नुकसान
लोग अक्सर क्रेडिट कार्ड के बढ़े बिल को चुकाने के लिए ईएमआई का ऑप्शन चुन लेते हैं ताकि एक बार में ज्यादा पैसे न देने पड़ें लेकिन इसके कुछ नुकसान भी होते हैं-
-कई बैंक ईएमआई के विकल्प को चुनने पर ग्राहक के क्रेडिट कार्ड लिमिट को भी घटा देती है.
-लोग जब ईएमआई का बिल चुकाते हैं तो उनके सिबिल पर असर पढ़ता है.
-ईएमआई ऑप्शन लेने पर क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटा दी जाती है. मान लिजिए आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 70,000 रुपये है. आपका बिल 50,000 रुपये का बना है और इसको चुकाने के लिए आप ईएमआई का विकल्प चुनते हैं तो आपकी क्रेडिट कार्ड की लिमिट 20,000 रुपये ही रह जाएगी. लेकिन जैसे – जैसे आप किस्त चुकाते जाएंगे आपकी लिमिट बढ़ती जाएगी.
-ईएमआई के ऑप्शन पर काफी सारे चार्ज लगते हैं जो कि जमा कराने होते हैं. ईएमआई के जरिए एक अतिरिक्त ब्याज ग्राहक से वसूला जाता है. आप बिल चुकाने के लिए जितनी समय तक ईएमआई देंगे उसी हिसाब से आपको ब्याज देना होगा.
-कई बैंक प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 1 से 3 फीसदी तक फीस चार्ज करते हैं.
-अगर कोई ग्राहक ईएमआई के पूरा होने से पहले ही पूरा बिल जमा करने चाहता है तब भी बैंक अलग से प्रोसेसिंग फीस ग्राहक से लेता है. साथ ही नियम के अनुसार 18 फीसदी जीएसटी भी लागू होता है.
एक उदाहरण से आप इस पूरी प्रक्रिया को समझ सकते हैं. अगर आप तीन महीने का समय चुनते हैं तो बैंक आपसे सालाना 20 फीसदी की ब्याज दर से चार्ज वसूल सकता है. लेकिन अगर आप एक साल की अवधि चुनते हैं तो यह दर महज 15 फीसदी हो जाएगी लेकिन पैसे आपको तीन महीने के मुकाबले ज्यादा चुकाने होंगे क्योंकि जितनी अवधि बढ़ेगी उतना ही ब्याज भी बढ़ जाएगा.
मान लेते हैं कि आपके क्रेडिट कार्ड बिल की रकम 20 हजार है और अगर आप 3 महीने (90 दिन) की अवधि का ईएमआई ऑप्शन चुनते हैं तो कुल ब्याज 986.30 रुपए [20,000 x (20%/365) x 90] बनेगा. वहीं 12 महीने की अवधि चुनने पर ब्याज के तौर पर 3,000 रुपए [20,000 x (15%/365) x 365] देना होंगे
ईएमआई ऑप्शन तभी चुनें जब बहुत जरूरी हो
-ईएमआई का विकल्प आप तभी चुनें जब आप सारा बिल एक साथ चुकाने की स्थिति में न हों. इस ऑप्शन को केवल इमरजेंसी में चुनें तो बेहतर रहेगा.
-समय पर पेमेंट करना सबसे जरूरी है. समय पर क्रेडिट कार्ड का बिल न चुकाने पर 40 फीसदी तक का चार्ज वसूला जा सकता है साथ ही लेट फीस भी देनी पढ़ती हैं.
- ग्राहक के क्रेडिट स्कोर पर भी लेट पेमेंट करने पर बुरा असर पड़ता है जिससे बाद लोन लेने में दिकक्त हो सकती है
-ईएमआई का विकल्प चुनने से पहले सभी नियमों को ध्यान से पढ़ें.
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