Inflation: बढ़ता तापमान महंगाई को और बढ़ाएगा, भारत के लिए ये है गंभीर खतरा- Moody's Report
Moody's On Inflation: एजेंसी ने कहा है कि लंबे समय तक भयंकर गर्मी नुकसानदेह है, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है. साथ ही ये भी कहा है कि भीषण गर्मी देश की आर्थिक वृद्धि को भी प्रभावित कर सकती है.
Moody's Report On Inflation: उत्तर भारत में लोगों को भले ही गर्मी से इन दिनों कुछ राहत मिल रही हो लेकिन अब तक जिस तरह की भीषण और झुलसाने वाली गर्मी देखने को मिली है वो बेहद खतरनाक है. ये गर्मी अर्थव्वस्था के लिए भी मुसीबत बन रही है. इससे महंगाई बढ़ने का खतरा भी अधिक है.
सही सुना आपने जो गर्मी लोगों को परेशान करती है वो गर्मी महंगाई में इजाफा कर सकती है, ऐसा कहना है रेटिंग एजेंसी मूडीज का. सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा है कि लंबे समय तक उच्च तापमान भारत के लिए नुकसानदेह साबित होगा, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है और देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है.
रेटिंग एजेंसी का तर्क
मूडीज के मुताबिक लंबी अवधि में, भौतिक जलवायु जोखिमों के प्रति भारत के अत्यधिक नकारात्मक ऋण जोखिम का मतलब है कि इसकी आर्थिक बढ़त का अस्थिर होना. देश को लगातार जलवायु संबंधी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि वैसे तो भारत में गर्मी की लहर काफी आम बात हैं, लेकिन यह आमतौर पर मई और जून में अपने हाई पर होती हैं.
हालांकि, इस साल नयी दिल्ली में मई में गर्मी की पांचवीं लहर देखी गई, जिससे अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ गया. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि लंबे समय तक उच्च तापमान देश के उत्तर-पश्चिम के अधिकांश हिस्से को प्रभावित करेगा. इससे गेहूं उत्पादन पर असर पड़ सकता है. साथ ही यह बिजली की कटौती का कारण भी बन सकता है. इस कारण उच्च मुद्रास्फीति और वृद्धि के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है.
गेंहू के उत्पादन में कटौती
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने भीषण गर्मी के मद्देनजर जून, 2022 को समाप्त होने वाले फसल वर्ष के लिए गेहूं का उत्पादन अनुमान 5.4 प्रतिशत घटाकर 15 करोड़ टन कर दिया है. घटे उत्पादन और वैश्विक स्तर पर गेहूं की अधिक कीमतों को देखते हुए हाल ही में सरकार ने गेंहू के निर्यात पर रोक लगाई है.
यह प्रतिबंध ऐसे समय में आया है, जब रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष के बाद भारत गेहूं की मांग के वैश्विक अंतर को पूरा करने में सक्षम हो सकता है. इससे जहां हाल समय में फायदा होगा, तो बाद में आर्थिक वृद्धि को नुकसान भी उठाना पड़ेगा.
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