रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम एक बेहद निवेश माध्यम साबित हो सकता है. सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर के कर्मचारी एनपीएस के जरिये अपने रिटायरमेंट प्लानिंग को अंजाम दे सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी अपने फंड का एक हिस्सा निकाल सकते  हैं.बाकी से उन्हें रेगुलर इनकम मिलती रहेगी.  एनपीएस अकाउंट दो तरह के होते हैं. एनपीएस में निवेश से पहले इन दोनों के अकाउंट के बारे में जानना जरूरी है.


एनपीएस अकाउंट दो तरह का होता है- टियर 1 और टियर 2.  हर सब्सक्राइवर को 12 अंकों का एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN)दिया जाता है. इसके जरिये आप ट्रांजेक्शन कर सकते हैं.


टियर 1 अकाउंट


एनपीएस स्कीम के तहत इस अकाउंट का खुलवाना अनिवार्य है. इस अकाउंट में निवेश की गई रकम को रिटायरमेंट से पहले नहीं निकाला जा सकता है. यानी अकाउंट से मैच्योरिटी से पहले इसमें से पैसा नहीं निकाला जा सकता है. स्कीम से बाहर होने पर ही पैसा निकाल सकते हैं.


टियर 2 अकाउंट


कोई भी टियर 1 अकाउंट होल्डर टियर 2 अकाउंट खोल सकता है. इसमें वह अपनी मर्जी से पैसा निकाल और डाल सकता है. यह ऐच्छिक अकाउंट है. यह टियर1 अकाउंट होल्डर पर निर्भर है कि वह टियर 2 अकाउंट खोले या न खोले. हालांकि टियर 1 अकांउट खुलवाए बिना टियर 2 अकाउंट नहीं खुलवा सकते. टियर 1 अकाउंट को बंद करने के समय टियर 2 अकाउंट को भी बंद करना पड़ता है.


टियर 1 अकाउंट से आप बच्चों के एजुकेशन, शादी, गंभीर बीमारियों के इलाज और मकान के कंस्ट्रक्शन के लिए खाता खोलने दस वर्ष बाद ही पैसा निकाल सकते है. वो भी अपने कंट्रीब्यूशन का 25 फीसदी.  टियर 2 अकाउंट से पैसे निकालने को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. इसमें से कभी भी पैसा निकाला जा सकता है. दोनों खातों में निवेश पर टैक्स बेनिफिट मिलता है.  यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि दोनों अकाउंट का PRAN एक ही होता है.