नई दिल्ली: आर्थिक क्षेत्र के थिंक टैंक एनसीएईआर ने बुधवार को कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था को वृद्धि के रास्ते पर लाने और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक मोर्चे पर समन्वित प्रयास किए जाने पर जोर दिया. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.


नेशनल काउंसिल ऑफ एपलायड इकोनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने कोविड- 19 महामारी फैलने के बाद अर्थव्यवस्था में आई इस भारी गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘हम एक प्रकार के अप्रत्याशित घटनाक्रम के साक्षी बन रहे हैं.’’


मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत पर पहुंच गई
एनसीएईआर की जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को जरूरत के मुताबिक तैयार करने के लिए कीमती समय मिला. लेकिन दूसरी तरफ यह सब एक बड़े मानवीय संकट की लागत से हमें मिला. इससे आर्थिक गतिविधियों को बड़ा झटका लगा, रोजगार, आय, राजस्व, बचत और निवेश पर इसका कई गुणा नकारात्मक असर पड़ा.


एनसीएईआर ने 15 मई 2020 को जारी अनुमानों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 26 प्रतिशत की गिरावट आने और मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया था. बहरहाल, सरकारी आंकड़ों के अनुसार मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत पर पहुंच गई.


एनसीएईआर के विशिष्ट फैलो सुदीप्तो मंडल ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से दोनों ही आकलन पूरी तरह से सही साबित हुए. अर्थव्यवस्था अब गहरी गतिहीन स्फीति संकट में है. ऐसे में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और साथ ही मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने दोनों मोर्चो पर लड़ाई लड़ने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों में सावधानी के साथ समन्वित प्रयास करने होंगे.’’


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