नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था के लिहाज से वर्ष 2019 अच्छा नहीं रहा. हर सेक्टर में मायूसी का आलम छाया रहा. छोटे बड़े उद्योग भी अर्थव्यवस्था की सुस्ती से बुरी तरह से परेशान रहे. बीते साल कौन कौन से क्षेत्रों में दिखा इसका असर आइए जानते हैं.
रियल एस्टेट में नहीं दिखा जोश
इस साल भी रियल एस्टेट में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया. जैसा कि उम्मीद की जा रही थी कि वर्ष 2019 में रियल एस्टेट में कुछ सुधार हो सकता है. लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला. बिल्डर,डेवलपर,रुके हुए प्रोजेक्ट और ग्राहकों की कमी से यह सेक्टर पूरे साल हांफता रहा है. दिल्ली एनसीआर सहित कई महानगरों में फ्लैट, मकान बने खड़े होने के बाद भी खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं. अधूरे प्रोजेक्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश और निगरानी में पूरा करने की कोशिश की जा रही है. कई बिल्डर दिवालिया हो चुके हैं. जानकारों का मानना है कि यह सेक्टर नोटबंदी की मार से अभी भी उबर नहीं पाया है. एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट के मुताबिक 2014 में देश में 3,50,000 मकानों की बिक्री हुई थी, जो नोटबंदी के बाद 2017 में घटकर 2,10,000 तक आ गई. सरकार ने नवंबर महीने में इस सेक्टर के लिए 25,000 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है. ताकि फंसे हुए प्रोजेक्ट की मदद की जा सके. भारतीय रियल एस्टेट कारोबार करीब 8.3 लाख करोड़ रुपये का है. आने वाले साल से इस सेक्टर को बहुत उम्मीदें हैं.
ऑटो सेक्टर की रफ्तार रही धीमी
धीमी अर्थवस्था के कारण देश में ऑटो सेक्टर रफ्तार नहीं पकड़ सका. ऑटो सेक्टर के लिए गुजरा साल अच्छा नहीं रहा. ऑटो कंपनियों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई. त्यौहार के सीजन में ही इस सेक्टर में थोड़ी बढ़त देखी गई. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति की बिक्री में भी गिरावट देखी गई. इस सेक्टर में आई गिरावट का कारण अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को माना जा रहा है. जिसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि लोगों के पास अतिरिक्त धन नहीं है इस कारण इस सेक्टर में गिरावट महसूस की जा रही है. वहीं बीएस 6 मानक के पालन और इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन भी वाहनों की बिक्री प्रभावित हुई है. इस सेक्टर में आई मंदी के कारण इस सेक्टर में छंटनी जैसे उपाय करने पड़े वहीं कई कंपनियों के प्लांट बंद होने की खबरें भी सामने आईं. हालांकि कुछ कंंपनियों को अच्छा सपोर्ट मिला. जैसे एमजी मोटर्स के एसयूवी एमजी हेक्टर और किया मोटर्स के लिए यह साल अच्छा रहा है.
टेलीकॉम सेक्टर पूरे साल जूझता रहा
टेलीकॉम सेक्टर के लिए साल 2019 बहुत बुरा रहा है. देश में एक समय वो भी था जब देश में 14 कंपनिया काम कर रही थी लेकिन आज देश में महज कुछ कंपनियां ही सेवाएं दे पा रही हैं. जिनमें बीएसएनएल सहित दो अन्य कंपनियां बुरे दौर से गुजर रही हैं. पूरे साल इस सेक्टर की चर्चा अर्थिक जगत में छाई रही. रिलायंस जियो के आने बाद शुरू हुई प्राइस वार से ज्यादातर टेलीकॉम कंपनियां पहले ही परेशान थीं वहीं एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी एजीआर का बकाया हिस्सा सरकार को देने के सुप्रीम कोर्ट के उनके खिलाफ आने वाले निर्णय ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी. इस आदेश से टेलीकॉम कंपनियों पर करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ने वाला है. जिसका असर ग्राहकों पर भी पड़ेगा. साल के आखिर में सभी कंपनियों ने अपने टैरिफ प्लानों में 35 से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी. बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय से जुड़ी खबर भी चर्चा में रहीं. इसे बचाने के लिए सरकार ने अक्टूबर में बड़ा फैसला किया और दोनों के विलय की योजना को मंजूरी दे दी गई है.
मंहगाई ने जेब ढीली की
साल के अंत में सबसे ज्यादा प्याज ने परेशान किया. भारतीय बाजारों में प्याज की कीमतें 200 रुपये प्रति किलो तक जा पहुंचीं. प्याज की कीमतें बढ़ने से आम आदमी के भी आंसू निकल आए. सरकार को दूसरे देशों से प्याज मंगाना पड़ा. सरकार के तमाम प्रयास भी प्याज की कीमतों को कम नहीं कर सके. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि नवंबर महीने में महंगाई 4.62 से बढ़कर 5.54 प्रतिशत हो गई है. यह पिछले 3 साल में सबसे ज्यादा है. खानेपीने की महंगाई दर 10.1 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर में 7.89 प्रतिशत थी.