खस्ताहाल पाकिस्तान में चार सालों बाद हुआ ये फैसला, महंगाई से परेशान जनता को मिलेगी राहत?
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान में चार सालों के बाद वो फैसला लिया गया है जिससे उम्मीद बन रही है कि इस मुल्क की जनता की मुश्किलों को कम करने के लिए ये फैसला काम आ सकता है.
Pakistan Economy: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की खस्ता आर्थिक हालत को लेकर खबरें आती रहती हैं. यहां प्याज से लेकर ब्याज तक जनता की वित्तीय परेशानी बढ़ा रहे हैं. पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने अपने बेंचमार्क रेट को उम्मीद से ज्यादा बड़े अंतर से कम कर दिया है. ये पाकिस्तान में चार सालों में पहली कटौती है. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर में सुधार के बीच सोमवार को नीतिगत ब्याज दर में 1.5 फीसदी की कटौती कर इसे 20.5 फीसदी कर दिया है.
ब्याज दर में 1.50 फीसदी की कटौती की और ये हो गया इंटरेस्ट रेट
महंगााई दर में सुधार के बीच पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने सोमवार को ब्याज दर में 1.5 फीसदी की कटौती कर इसे 20.5 फीसदी कर दिया है. एक बयान में, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा कि उसकी मौद्रिक नीति समिति ने सोमवार को बैठक में मौजूदा आर्थिक विकास की समीक्षा की है. इसमें मई के लिए महंगााई दर में 'अनुमान से बेहतर' गिरावट को ध्यान में रखा गया.
पाकिस्तान में 11 महीनों से 22 फीसदी की रिकॉर्ड-उच्च दर
एमपीसी में कहा गया है कि पाकिस्तान में चालू खाते के घाटे में कमी से बड़े कर्ज भुगतान और कमजोर इंफ्लो के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार को लगभग 9 बिलियन डॉलर तक सुधारने में मदद मिली है. नीतिगत दर में कटौती लंबे समय के बाद हुई है क्योंकि बैंक ने पिछले 11 महीनों से 22 फीसदी की रिकॉर्ड-उच्च नीति दर बनाए रखी थी. बयान के मुताबिक इन जोखिमों और दर कटौती के फैसले के बावजूद पूर्व में उठाए गए कदमों से महंगााई दर के दबाव पर लगाम लगने की उम्मीद है.
ज्यादातर जानकारों को नहीं था अनुमान
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने एक बयान में कहा कि उसकी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में मौजूदा आर्थिक वृद्धि की समीक्षा में ये बात सामने आई कि मई में महंगााई दर में उम्मीद से ज्यादा गिरावट आई है. दक्षिण एशियाई देश में कंज्यूमर कीमतें कम होने के बाद, इसकी एमपीसी ने आने वाले बजटीय उपायों एमपीसी ने निकट अवधि के महंगााई दर आउटलो में कुछ उल्टा जोखिमों को नोट किया. गौरतलब है कि देश में एमपीसी की बैठक से पहले जो अनुमान लिया गया उसमें से केवल दो अर्थशास्त्रियों ने इस फैसले की भविष्यवाणी की थी.
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