RBI ने कहा- देश की अर्थव्यवस्था अब सुधर रही, रेपो रेट स्थिर, EMI में बदलाव नहीं
मार्च और मई 2020 के अंत में हुई बैठकों में रेपो दर में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है. इससे पहले फरवरी 2019 से अब तक रेपो दर में 2.50 प्रतिशत तक कटौती की जा चुकी है.
नई दिल्ली: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिए गए निर्णयों का ऐलान कर दिया गया है. आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बरकरार है. रेपो रेट में बदलाव न होने का मतलब ये हुआ कि ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिलेगी.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ग्लोबल इकनॉमी कमजोर है. लेकिन कोरोना की मार के बाद देश की अर्थव्यवस्था अब सुधर रही है. विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है. खुदरा महंगाई दर नियंत्रण में है. आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ रेट निगेटिव रहेगी. जून में लगातार चौथे महीने भारत के व्यापार निर्यात में कमी आई. घरेलू मांग में कमी और अंतर्राष्ट्रीय क्रूड तेल के दामों में कमी की वजह से जून महीने में आयात में काफी कमी आई.
RBI पर महंगाई दर को काबू में रखने का दबाव लॉकडाउन के कारण मांग में कमी के बावजूद मांस, मछली, खाद्यान्न और दालों की कीमतों में भारी उछाल आया. इसके कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल इन्फ्लेशन) जून में 6.09 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसके कारण आरबीआई पर महंगाई दर को काबू में रखने का अतिरिक्त दबाव है.
रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति निर्धारित करते समय मुख्य रूप से सीपीआई पर गौर करता है. फिक्की के विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा महंगाई दर बढ़ने के कारण आरबीआई के लिए इकोनॉमिक ग्रोथपर फोकस करना सबसे बड़ी चुनौती होगी. मार्च और मई 2020 के अंत में हुई बैठकों में रेपो दर में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है. इससे पहले फरवरी 2019 से अब तक रेपो दर में 2.50 प्रतिशत तक कटौती की जा चुकी है.
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