Restaurant Service Charge: जबरदस्ती ग्राहकों से सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकते रेस्टोरेंट, पढ़ें इससे जुड़ी नई चेतावनी
Restaurant Service Charge News: अब अगर आप रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं तो आपके बिल में जबरदस्ती सर्विस चार्ज नहीं लगाया जा सकता है. जानिए अब किसने इसके लिए सुनाया है फरमान.
Restaurant Service Charge Update: रेस्टोरेंट अब ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकते हैं. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने इस संबंध में चेतावनी जारी की है. ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि रेस्टोरेंट ग्राहकों को जबरन सर्विस चार्ज देने के लिए मजबूर करते हैं. इन शिकायतों को देखते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 2 जून को भारतीय राष्ट्रीय रेस्तरां संघ (NRAI) की बैठक भी बुलाई है.
मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर ग्राहकों की ओर से दर्ज शिकायतों के बारे में संज्ञान लेने के बाद यह बैठक बुलाई है. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने भी एनआरएआई अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा कि रेस्टोरेंट और भोजनालय ग्राहकों से गलत तरीके से सर्विस चार्ज ले रहे हैं, जबकि ऐसे किसी भी शुल्क का संग्रह ‘स्वैच्छिक’ है.
दबाव डालकर ग्राहकों को किया जाता है गुमराह
उपभोक्ता मामलों के सचिव ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि ग्राहकों को सर्विस चार्ज का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है. यह शुल्क रेस्टोरेंट मनमाने तरीके से ऊंची दरों पर तय करते हैं. उपभोक्ता जब बिल राशि से इस तरह के चार्ज को हटाने का अनुरोध करते हैं तो उन्हें गुमराह कर इस तरह के चार्ज को वैध ठहराने का प्रयास किया जाता रहता है.
ग्राहकों के अधिकार का मामला
पत्र में यह भी साफ कहा गया है कि यह मुद्दा उपभोक्ताओं को दैनिक आधार पर प्रभावित करता है. यह उनके अधिकारों का भी मसला है, इसलिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने इसे बारीकी और विस्तार से जांचने का फैसला किया है. उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय 2 जून को बुलाई गई बैठक में रेस्टोरेंट की ओर से किसी अन्य शुल्क या उसकी आड़ में सर्विस चार्ज को बिल में शामिल करने के मामले में उपभोक्ता शिकायतों पर चर्चा करेगा.
ये हैं सर्विस चार्ज की गाइडलाइंस
सर्विस चार्ज (Service Charge) को लेकर भारत सरकार की 21 अप्रैल 2017 को जारी गाइडलाइंस में साफ कहा गया था कि ये बात नोटिस में आ रही है कि कुछ होटल और रेस्त्रां ग्राहक की सहमति के बिना टिप या सर्विस चार्ज ले रहे हैं. कई बार ग्राहक बिल में लगे सर्विस चार्ज देने के बाद भी वेटर को अलग से ये सोचकर टिप देते हैं कि बिल में लगने वाला चार्ज टैक्स का पार्ट होगा.
कई जगह होटल और रेस्त्रां में ये भी लिखा होता है कि अगर कंज्यूमर अनिवार्य तौर पर सर्विस चार्ज देने के लिए सहमत न हों तो वो वहां न आएं. साथ ही खाने की जो कीमत लिखी होती है उसमें माना जाता है कि खाने की कीमत के साथ-साथ सर्विस जुड़ा हुआ है. इस अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस में कंज्यूमर उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.
आम तौर पर जब ग्राहक मैन्यू देखता है तो उसमें खाने के आइटम की कीमत और टैक्स लिखा होता है और इसके लिए तैयार होने पर ही कंज्यूमर ऑर्डर करता है. लेकिन, इसके अलावा ग्राहक की सहमति के बिना लिया जाने वाला कोई भी चार्ज अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस है.
टिप हमेशा कंज्यूमर के अधिकार में है. ऐसे में बिल में साफ लिखा होना चाहिए कि सर्विस चार्ज उपभोक्ता की मर्जी पर है और सर्विस चार्ज का कॉलम खाली रखा जा सकता है कि कंज्यूमर उसमें खुद पेमेंट से पहले अमाउंट भर ले.
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