नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह वोडाफोन मध्यस्थता मामले में कानूनी उपाय समेत सभी विकल्पों पर विचार करेगी. वोडाफोन पर पिछली तिथि से कर लगाये जाने के मामले में मध्यस्थता अदालत का कंपनी के पक्ष में फैसला आने के बाद सरकार ने यह बात कही.


ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडफोन ग्रुप पीएलसी ने पिछली तारीख से लागू कर कानून के तहत 22,100 करोड़ रुपये की आयकर विभाग की कर मांग के मामले में मध्यस्थता अदालत में लड़े गये मुकद्दमे में जीत हासिल की है.


एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने शुक्रवार को व्यवस्था दी कि भारत की पिछली तिथि से कर की मांग करना द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत निष्पक्ष व्यवहार के खिलाफ है.


वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसे वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग बीवी द्वारा भारत सरकार के खिलाफ दायर मध्यस्थता मामले में निर्णय के बारे में अभी सूचना मिली है.


बयान के अनुसार, ‘‘सरकार मामले में निर्णय और सभी पहलुओं का अपने वकीलों के साथ विचार-विमर्श कर अध्ययन करेगी. विचार-विमर्श के बाद सरकार सभी विकल्पों पर विचार करेगी और उपयुक्त मंच पर कानूनी उपाय समेत अन्य कार्यवाही के बारे में निर्णय करेगी.’’


फैसले के बाद इस मामले में भारत सरकार की देनदारी करीब 75 करोड़ रुपये तक सीमित होगी. इसमें 30 करोड़ रुपये लागत और 45 करोड़ रुपये कर वापसी शामिल है.


वोडाफोन ने भारत सरकार के पिछली तिथि से कर लगाने के कानून के तहत उससे की गई कर मांग के खिलाफ मामले को मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी थी. सरकार ने 2012 में पारित एक कानून के जरिये पिछली तिथि में हुये सौदों पर कर लगाने का अधिकार हासिल कर लिया था.


सरकार ने इसी कानून के तहत वोडाफोन द्वारा हचीसन व्हाम्पाओ के भारत स्थित मोबाइल फोन कारोबार में 67 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के 11 अरब डॉलर के सौदे में पूंजीगत लाभ कर की मांग की थी. वोडाफोन और हचीसन के बीच यह सौदा 2007 में हुआ था.


कंपनी ने नीदरलैंड-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के तहत भारत सरकार की कर मांग को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी. कंपनी से इस सौदे में पूंजीगत लाभ कर के रूप में 7,990 करोड़ रुपये (ब्याज और जुर्माना मिलाकर 22,100 करोड़ रुपये) की मांग की गई थी.