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India Sovereign Fund: चीन और गल्फ देशों की राह चला भारत, सॉवरेन वेल्थ फंड बनाने पर सरकार ने शुरू किया काम

Sovereign Wealth Fund India: खबरों के अनुसार सरकार ने सॉवरेन फंड बनाने के लिए शुरुआती चर्चा की है. आइए जानते हैं कि ये फंड क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं और किस तरह से भारत को फायदा दिला सकते हैं...

भारत विदेश में निवेश को लेकर खाड़ी की अर्थव्यवस्थाओं और चीन जैसे देशों की राह पर चल सकता है. भारत सरकार सॉवरेन वेल्थ फंड बनाने की योजना पर विचार कर रही है. खबरों में दावा किया जा रहा है कि इसके लिए सरकार ने पहले ही बातचीत शुरू कर दी है.

रिजर्व बैंक और सेबी के साथ हुई चर्चा

सीएनबीसी टीवी18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की योजना एक सॉवरेन वेल्थ फंड बनाने की है. उसके लिए सरकार रिजर्व बैंक, बाजार नियामक सेबी और गिफ्ट सिटी के साथ शुरुआती बातचीत कर चुकी है. बातचीत का फोकस इस बात पर रहा कि भारत के लिए सॉवरेन वेल्थ फंड बनाना कितना व्यावहारिक हो सकता है.

सरकारी कंपनियों से मांगी गई राय

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार ने सॉवरेन वेल्थ फंड को लेकर 30 से ज्यादा सरकारी कंपनियों से भी राय मंगाई है. उन सभी सरकारी कंपनियों से पूछा गया है कि सॉवरेन वेल्थ फंड पर उनकी राय क्या है और क्या भारत में सॉवरेन वेल्थ फंड की रणनीति सफल होगी. सरकार को लगता है कि सॉवरेन वेल्थ फंड बनाने से भारत के लिए विदेश में अरबों डॉलर निवेश करने के मौके खुल सकते हैं.

सॉवरेन फंड बनाने के पीछे सरकार की मंशा

सरकार की योजना है कि भारत का अपना सॉवरेन वेल्थ फंड तैयार किया जाए और उसके जरिए पीपीपी मोड (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) पर अन्य देशों में निवेश किया जाए. सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के फंड से विदेश में बुनियादी संरचनाओं से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश करने की भारत की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. सरकार जानना चाहती है कि इस तरह का फंड तैयार कर मित्र देशों की कितनी मदद की जा सकती है.

क्या है सॉवरेन वेल्थ फंड?

सॉवरेन वेल्थ फंड दरअसल एक सरकारी इन्वेस्टमेंट फंड होता है. आम तौर पर ऐसे फंड में संबंधित सरकार का पैसा लगा होता है. कई देशों के पास इस तरह के फंड हैं, जिनमें संबंधित देशों की सरकारें सरप्लस रेवेन्यू से फंड लगाती हैं. ये फंड अन्य देशों की परियोजनाओं में निवेश करते हैं. इससे एक तरफ तो सरकार को अन्य देशों में निवेश के मौकों का लाभ उठाकर कमाई करने का अवसर मिलता है. साथ ही ऐसे फंड संबंधित देश के लिए कूटनीति में भी मददगार टूल साबित होते हैं.

भारत को ऐसे हो सकता है फायदा

सरकार की इस योजना को भारत की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षाओं से जोड़ा जा रहा है. सॉवरेन वेल्थ फंड के जरिए भारत दुनिया के अन्य देशों में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर सकता है. इसे देश की तेजी से बढ़ रही आर्थिक ताकत से भी जोड़ा जा सकता है. इस तरह का फंड न सिर्फ आर्थिक लिहाज से, बल्कि डिप्लोमेसी के लिहाज से भी भारत सरकार की मदद कर सकता है.

ये हैं दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन फंड

इन्वेस्टोपीडिया के हिसाब से साल 2024 में दुनिया के 100 सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड के पास करीब 13 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति हो चुकी है. उनमें सबसे ऊपर नॉर्वे का सरकारी पेंशन फंड है, जिसके पास 1.6 ट्रिलियन डॉलर के एसेट हैं. चीन के सॉवरेन फंड की कुल सपंत्ति 1.35 ट्रिलियन डॉलर है. अबु धाबी, सऊदी अरब और कुवैत जैसे खाड़ी देशों के सॉवरेन फंड के पास भी करीब 1-1 ट्रिलियन डॉलर के एसेट हैं.

इन कंपनियों को मिल सकता है मौका

शुरुआती बातचीत के हिसाब से भारत सरकार को लग रहा है कि अगर 5 बिलियन डॉलर का सॉवरेन वेल्थ फंड बनाया जाए तो उससे सालाना 10 बिलियन डॉलर के निवेश के मौके मिल सकते हैं. अभी सरकार की योजना सॉवरेन वेल्थ फंड को सिर्फ सरकारी कंपनियों के लिए ओपन करने की है. बाद में सॉवरेन वेल्थ फंड को अन्य संस्थानों और लिस्टेड कंपनियों के लिए खोला जा सकता है.

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