US Recession: खतरे में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका पर छाया मंदी का साया, गोल्डमैन सैश ने रिस्क बढ़ाया
Risk on US Economy: अमेरिकी की अर्थव्यवस्था पर एक बार फिर से मंदी का खतरा मंडरा रहा है. पिछले सप्ताह जारी हुए कुछ आर्थिक आंकड़े खराब संकेत दे रहे हैं...
वैश्विक आर्थिक हालात एक बार फिर से चुनौतीपूर्ण होने लगे हैं. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के ऊपर आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है. तमाम एनालिस्ट के द्वारा मंदी के कयासों के बीच अब गोल्डमैन सैश ने भी आशंका बढ़ा दी है. गोल्डमैन सैश ने अगले साल में अमेरिका में मंदी आने के अपने अनुमान में बदलाव किया है और उसे बढ़ा दिया है.
इतना बढ़ाया मंदी का जोखिम
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, गोल्डमैन सैश ग्रुप इंक के अर्थशास्त्रियों ने अगले साल अमेरिका में मंदी आने के अनुमान को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है. हालांकि राहत की बात है कि अर्थव्यवस्था के ऊपर मंदी के जोखिम के बाद भी अचानक बड़े नुकसान का जोखिम नहीं है. गोल्डमैन सैश के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मंदी के बढ़े जोखिम के बाद भी ऐसे कई कारण हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि बेरोजगारी बढ़ने के बाद भी अचानक अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट नहीं आने वाली है.
बेरोजगारी के डराने वाले आंकड़े
अमेरिका में पिछले सप्ताह अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ चिंताजनक आंकड़े सामने आए थे. अमेरिका में बेरोजगारी दर 4.3 फीसदी पर पहुंच गई है. यह अक्टूबर 2021 के बाद अमेरिका में बेरोजगारी का सबसे बड़ा आंकड़ा है. बेरोजगारी की दर में यह बढ़ोतरी बाजार के अनुमान से ज्यादा है और इसने एक बार फिर से मंदी के डर को तेज कर दिया है. एनालिस्ट मान रहे हैं कि बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ना आने वाली मंदी का संकेत है.
अमेरिकी शेयर बाजार पर असर
मंदी के खतरे का असर शेयर बाजार पर भी दिख रहा है. डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का फ्यूचर आज सुबह 7 बजे 375 अंक से ज्यादा (लगभग 1 फीसदी) के नुकसान में था. इससे पहले शुक्रवार को डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 610.71 अंक यानी 1.51 फीसदी की गिरावट आई थी. वहीं एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.84 फीसदी और टेक स्टॉक फोकस्ड इंडेक्स नास्डैक कंपोजिट 2.43 फीसदी के नुकसान में रहा था.
जोखिम को सीमित मान रहे अर्थशास्त्री
गोल्डमैन के अर्थशास्त्रियों ने क्लाइंट से रविवार को एक रिपोर्ट में कहा- हम अभी भी मंदी के जोखिम को सीमित मान रहे हैं. अर्थव्यवस्था कुल मिलाकर ठीक ही लग रही है. अभी कोई बड़ा वित्तीय असंतुलन नहीं है. फेडरल रिजर्व के पास ब्याज दर में कटौती करने की काफी गुंजाइश है और जरूरत पड़ने पर फेडरल रिजर्व काफी तेजी से ब्याज दर में कटौती कर सकता है.
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