अर्थव्यवस्था में रिकवरी भले ही धीमी हो लेकिन वाहन निर्माता कंपनियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. इसकी वजह भी है. दरअसल सितंबर में कार, टू-व्हीलर्स और ट्रैक्टर उत्पादन का वॉल्यूम बढ़ गया है. सितंबर में इसमें 15 से 30 फीसदी उछाल आने का अनुमान है. वॉल्यूम में इजाफे के मामले में यह पिछले दो साल की सबसे तेज रफ्तार है. अगस्त में वाहन कंपनियों की अच्छी मांग की वजह से यह वॉल्यूम बढ़ा है.


कारों के उत्पादन में 26 से 30 फीसदी तक इजाफा


सितंबर में कार निर्माताओं ने 2.8.-2.9 लाख कारों का निर्माण किया. यानी इसमें 26 से 30 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह पिछले 27 महीने का उच्चतम स्तर है. टू-व्हीलर्स वॉल्यूम में भी इजाफा हुआ है और 11 से 12 लाख यूनिटों तक पहुंच चुका है. इसका मतलब यह कि इसमें 15 फीसदी का इजाफा हुआ है. पिछले दो साल का यह उच्चतम स्तर है. वहीं ट्रैक्टर की बिक्री एक लाख से एक लाख दस हजार यूनिट तक पहुंच चुकी है. पिछले 11 महीने का यह उच्चतम स्तर है. इसमें पिछले साल की तुलना में 11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है.


पर्सनल मोबिलिटी और रूरल सेक्टर में मांग में तेजी का असर


दरअसल पर्सनल मोबिलिटी और ग्रामीण क्षेत्र में इकनॉमी में अच्छी मांग की वजह से वाहनों के उत्पादन में इजाफा हुआ है. नवरात्रि, दशहरा और दिवाली से पहले दिख रहे इस मांग का असर फेस्टिवल सीजन और इससे आगे भी रह सकता है. अब तक वाहनों की रिटेल बिक्री थोक बिक्री से अधिक दिखी है. सप्लाई चेन की वजह से थोक बिक्री में कमी दिखी है. लेकिन सितंबर में वॉल्यूम में जो तेजी दिखी इसे लेकर वाहन निर्माताओं का कहना है कि इस आंकड़े से बहुत उत्साहजनक नतीजे नहीं निकाले जाने चाहिए. देश में कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आर्थिक रिकवरी क्या रुख अख्तियार करती है. इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा.


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