नई दिल्लीः 12 हजार 700 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में घमासान जारी है. बीजेपी ने आज पूछा है कि चिदंबरम ने आरोपी मोहुल चोकसी को फायदा पहुंचाने के लिए कितना कमीशन लिया था, वहीं कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए सवाल किया है कि बीजेपी के राज में देश का पैसा विदेश कैसे चला गया?


आज से संसद में बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हुआ है, आज पहले दिन ही पीएनबी घोटाले को लेकर हंगामे की वजह से संसद नहीं चल पाई. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार के राज में करीब साढ़े बारह हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ और आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश छोड़कर भाग गए. वहीं आज बीजेपी एक बार फिर आरोपियों के साथ कांग्रेस का कनेक्शन लेकर सामने आई. आज केंद्र सरकार ने बैंकिंग घोटाले पर कांग्रेस को ही घेर लिया.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का आरोप है कि मेहुल चोकसी की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए दो हजार चौदह में तब के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 20-80 स्कीम में बदलाव किया था जिसके बाद आरोपियों को भी सोना आयात करने की छूट मिल गई थी. बीजेपी ने चिदंबरम से पूछा कि उन्हें कितना कमीशन मिला.

बैंकों में एनपीए का मामला उठाते हुए रविशंकर प्रसाद ने दोहराया कि मोदी सरकार के ज़माने में एक पैसा भी एनपीए नहीं हुआ है. प्रसाद ने कहा कि बैंकिंग व्यवस्था को ध्वस्त करते हुए युपीए के ज़माने में मनमाने तरीके से लोन दिए गए जो एनपीए हो गए.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया है कि मई 2014 में मेहुल चोकसी की कंपनी को फायदा दिलाने के लिए गोल्ड स्कीम का कानून बदला गया था. उन्होंनें पूछा कि इसके बदले सरकार ने कितना कमीशन लिया? रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगस्त 2013 में सरकार 80:20 स्कीम लाई थी जिसको नवंबर 2014 में निरस्त कर दिया गया था. वहीं 16 मई 2014 (जिस दिन लोकसभा चुनावों के नतीजे आए थे) उस दिन तत्कालीन वित्त मंत्री ने 7 निजी कंपनियों को 80:20 स्कीम के तहत लाभ पहुंचाया. इन्हीं 7 कंपनियों में से एक गीतांजलि जेम्स एंड ज्वैलरी थी.



रविशंकर प्रसाद ने पूछा कि पी चिदंबरम और राहुल गांधी को इस बात का जवाब देना चाहिए कि क्यों इस स्कीम का फायदा ऐन नतीजों के दिन 7 निजी कंपनियों को दिया गया? चिंदबरम इस बात को स्वीकार क्यों नहीं करते कि ये सरकार की ओर से इन कंपनियों को दिया गया सीधा आशीर्वाद था.

क्या है पूरा मामला
13 अगस्त 2013 को सोना के आयात में लगातार बढ़ोत्तरी को देखते हुए 80:20 गोल्ड स्कीम लागू किया गया था ताकि चालू खाता में हो रहे घाटे को कम किया जा सके. स्कीम के तहत सोने के आयात की इजाज़त उसी आयातक को मिलती जो आयात किए गए कुल सोने का कम से कम 20 फीसदी सोने के आभूषण के तौर पर निर्यात करता हो. इस स्कीम का पहले जनवरी 2014 और फिर मई 2014 में नवीनीकरण किया गया. अगस्त 2016 में संसद में पेश किए गए अपने रिपोर्ट में सीएजी ने इस स्कीम में कई ख़ामियां पाईं. 21 मई 2014 को वो आदेश सबसे विवादित रहा जिसमें इस स्कीम को बढ़ाने का फ़ैसला करते हुए केवल 7 कंपनियों को ही सोने के आयात की इजाज़त दी गई. इन कंपनियों में मेहुल चोकसी की गीतांजली जेम्स भी शामिल थीं. एक आकलन के मुताबिक़ गीतांजली जेम्स ने इस आदेश के बाद 400 किलो सोने का आयात किया.

दिलचस्प बात ये है कि चिदंबरम ने इस आदेश पर 16 मई को हस्ताक्षर किए थे जिस दिन लोकसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत के साथ जीत मिली थी. नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद 28 नवंबर 2014 को इस स्कीम को बंद करने का फ़ैसला किया गया. वहीं बीजेपी ने एक दूसरे हीरा व्यापारी जतिन मेहता का मामला उठाते हुए पूछा कि 2012 में देश से भागने से पहले उसे किसने लोन दिया था?

भारतीय जांच एजेंसियां सतर्क/ईडी का हांगकांग इंटरपोल और पुलिस को अलर्ट
देश का 12 हजार 700 करोड़ लेकर फरार नीरव मोदी के हांगकांग में होने की खबर मिलने के बाद भारतीय जांच एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं. हालांकि ईडी की चिंता है कि नीरव मोदी हांगकॉग से भी भागने के चक्कर में लगा हुआ है.

हांगकांग में नीरव मोदी की मौजूदगी को लेकर (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) ईडी ने हांगकांग इंटरपोल और पुलिस को अलर्ट किया है. दरअसल नीरव मोदी के पास एक और पासपोर्ट होने का शक है और ईडी की चिंता है कि नीरव मोदी हांगकांग से निकलने की कोशिश मे लगा है. लिहाजा ईडी ने स्पेशल कोर्ट से हांगकांग प्रशासन के नाम भी वारंट जारी कराया है. ईडी का मानना है कि नीरव मोदी छोटे देशों में छिपने की फिराक में है.