Edible Oil Price: ग्लोबल मार्केट में तेजी के बीच देशभर में तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला है. खाने वाले तेल की कीमतों में हफ्तेभर में सुधार हुआ है. मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने की वजह से सरसों तेल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली है. इसके अलावा विदेशी बाजारों में खाने वाले तेल की कीमतों में मजबूती देखने को मिली है.
विदेशी बाजारों में जारी है उथल-पुथल
आपको बता दें समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सोयाबीन तेल के दाम 118 डॉलर प्रति टन बढ़े जबकि कच्चे पामतेल (CPO) के दाम में 180 डॉलर का इजाफा हुआ है. रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव और सैन्य कार्रवाई को लेकर बाजार में उथल-पुथल जैसी स्थिति देखने को मिल रही है. विदेशी बाजारों में कभी भारी तेजी आती है तो कभी तेज गिरावट देखने को मिलती है. विदेशी बाजारों में तेजी के कारण मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में तेजी आई है.
सरसों के तेल की कीमतों में आई नरमी
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में नई सरसों की आवक बढ़ने से सरसों तेल-तिलहनों के भाव में नरमी है. मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर साढे छह से सात लाख बोरी हो गई है. सरसों तेल का भाव सोयाबीन के तेल से लगभग 30 रुपये लीटर अधिक हुआ करता था जो अब सोयाबीन से लगभग 2-3 रुपये लीटर सस्ता हो गया है. इस स्थिति से सरसों के उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है.
सीपीओ और पामोलीन तेल तेजी के साथ बंद
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव लाभ के साथ बंद हुए. स्थानीय मांग और तेजी के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल के भाव में भी तेजी दिखी. तेल-तिलहन उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की सख्त आवश्यकता है और इसके लिए विदेशों पर निर्भरता ठीक नहीं है. इस निर्भरता के कारण भारत विदेशी कंपनियों की मनमानी का मोहताज होता है और उसे भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है.
आयात खर्च रहा 71,625 करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2019-20 में देश का खाद्य तेलों का आयात खर्च लगभग 71,625 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गया. वित्त वर्ष 2021-22 में इस खर्च के बढ़कर लगभग 1.45 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. सरकार की तरफ से सहकारी संस्था हाफेड और नेफेड को बाजार भाव पर और जरूरत पड़े तो बोनस का भुगतान करते हुए भी सरसों की खरीद कर 20-25 लाख टन का स्टॉक कर लेना चाहिये क्योंकि सरसों तिलहन जल्दी खराब नहीं होता और जरूरत के समय यह काफी मददगार साबित हो सकता है.
सरसों दाने के भाव में आई गिरावट
सूत्रों ने बताया कि मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने के बाद बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 625 रुपये की भारी गिरावट के साथ 7,650-7,675 रुपये प्रति क्विंटल रह गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,275-8,300 रुपये प्रति क्विंटल था. सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 1,180 रुपये लुढ़ककर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,400 रुपये क्विंटल रह गया. वहीं, सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत क्रमश: 115 रुपये और 160 रुपये टूटकर क्रमश: 2,275-2,330 रुपये और 2,475-2,580 रुपये प्रति टिन रह गई. सूत्रों ने कहा कि दूसरी ओर समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 125 रुपये और 130 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 7,125-7,225 रुपये और 7,025-7,125 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए.
सोयाबीन की कीमतों में हुआ सुधार
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार रहा. सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 1,050 रुपये, 1,200 रुपये और 1,170 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 15,600 रुपये, 15,500 रुपये और 14,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए. समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना का भाव 250 रुपये के सुधार के साथ 6,375-6,470 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली सॉल्वेंट के भाव क्रमश: 700 रुपये और 170 रुपये सुधरकर क्रमश: 14,250 रुपये प्रति क्विंटल और 2,355-2,540 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए.
पामोलीन की कीमतों में आया सुधार
समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार दिखा. सीपीओ का भाव 500 रुपये बढ़कर 13,100 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ. पामोलीन दिल्ली का भाव भी 750 रुपये का सुधार दर्शाता 14,750 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 750 रुपये के सुधार के साथ 13,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. बिनौला तेल का भाव भी 600 रुपये का सुधार दर्शाता 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.
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