कोरोना संक्रमण के इस दौर में खाने-पीने की कई चीजों के दाम में इजाफा हुआ है. इनमें खाद्य तेल भी शामिल है. पिछले कुछ दिनों में सरसों और सोयाबीन से बने रिफाइंड तेल के दाम में काफी उछाल आया है. सरसों तेल 110 रुपये किलो से बढ़ कर 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है. वहीं सामान्य ब्रांड की रिफाइंड तेलों के दाम में बढ़ोतरी हुई है. इस समय सरसों की कटाई चल रही है और सोयाबीन का भी पेराई सीजन चल रहा है. लेकिन खाद्य तेल उद्योग को आशंका है कि कोरोना संक्रमण में लगे लॉकडाउन में मजदूरों ने पलायन किया तो उत्पादन पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा. उत्पादन में कटौती और सप्लाई में दिक्कत की वजह से खाद्य तेलों के दाम और बढ़ सकते हैं. 


कामगारों के रहने और खाने की व्यवस्था कर रही हैं कंपनियां


खाद्य तेल कंपनियों का कहना है मजदूर पलायन न करें इसलिए वो उनके रहने और खाने की व्यवस्था कर रही हैं. मजदूरों को फैक्ट्री कैंपस में रखने की व्यवस्था हो रही है. साथ ही 45 साल की उम्र के कामगारों को वैक्सीन कैंपस में ही वैक्सीन लगाई जा रही है. इसके अलावा कंपनियां मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए गाड़ियों की भी व्यवस्था  कर रही ताकि वे अपने घर वालों से जाकर मिल सकें. हरियाणा स्थित एक खाद्य तेल कंपनी के अधिकारी ने बताया कि उनके दो संयंत्रों में मजदूरों के रहने और खाने की पूरी व्यवस्था की गई है. इसलिए प्रोडक्शन की रफ्तार कम होने या इसके रुकने की आशंका नहीं है. इसके अलावा इस बार लंबे समय तक लॉकडाउन रहने की संभावना भी नहीं है.


पिछले एक  साल में डेढ़ गुना तक बढ़ी हैं खाद्य तेल की कीमतें 


पिछले एक एक साल में घरेलू खाद्य तेलों में सरसों तेल के दाम 90-100 रुपये से बढ़कर 150 रुपये हो गए हैं. रिफाइंड सोया तेल 80-85 रुपये से बढ़कर 125-130 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. लेकिन अब इसकी कीमतें और बढ़ गई हैं. इस दौरान मूंगफली तेल के दाम करीब 30 फीसदी बढ़कर 155-160 रुपये हो गए हैं. वहीं सूरजमुखी तेल के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 185-190 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं.अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह मुख्य पाम उत्पादक देश मलेशिया व इंडोनेशिया में फसल कमजोर होने के साथ सट्टेबाजी है.


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