Edible Oil Rtaes: बढ़ती महंगाई के बीच खाने का तेल पहले से सस्ता हो चुका है. इसका सबसे बड़ा कारण, मलेशिया के बाजार में गिरावट जारी है. वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति अच्छी होने से भी आयतित तेल की कीमतें सस्ती पड़ रही है. इस गिरावट के कारण दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार भी प्रभावित हुए हैं. 


देश में बड़ी मात्रा में खाने के तेल आयात किए गए हैं, जिसमें पाम, सोयाबीन, रिफाइंड और मुंगफली जैसे तेल शामिल हैं. इसके अलावा, देश के सरसों का स्टॉक भी अधिक है. ऐसे में बाजार में उपलब्ध तेल की कीमत पहले से कम हुई हैं. सोयाबीन से लेकर पाम तेल के प्राइस में बदलाव हुआ है. 


60 फीसदी खाद्य तेल हो रहा आयात 


पीटीआई भाषा के सूत्रों के मुताबिक, देश में विदेशों से करीब 60 फीसदी तेल आयात किया जा रहा है. देश में 2021 में नवंबर तक खाद्य तेलों का आयात लगभग एक करोड़ 31.3 लाख टन था, जो नवंबर 2022 तक बढ़कर लगभग एक करोड़ 40.3 लाख करोड़ टन का हो गया. वहीं दूसरी ओर भारत में तेल और तिलहन का उत्पादन बढ़ रहा है. 


आयात बढ़ने की उम्मीद 


अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में आयात बढ़ सकता है, क्योंकि इसके दाम में गिरावट जारी है. वहीं घरेलू स्तर पर तेल और तिलहन के स्टॉक भरपूर मात्रा में होने की संभावना है. हालांकि इसके बावजूद देश में तेल और तिलहन के दाम में कोई कमी नहीं आई है. 


गिरावट का नहीं मिल रहा लाभ 


खाद्य तेलों में कमी होने और तेल-तिलहन का स्टॉक भरपूर होने के बावजूद लोगों को इस तेल के दाम में कमी का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ग्राहकों को अभी भी इन तेलों के खुदरा ​खरीद पर पहले जितना ही दाम चुकाने पड़ रहे हैं. सरकार ने कई मौकों पर एडिबल ऑयल कंपनियों को सस्ते खाने के तेल के दामों का फायदा आम लोगों को देने को कहा है. 


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