Edible Oil Update: ग्लोबल मार्केट में खाने वाले तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से घरेलू बाजार में भी तेल की कीमतें फिसल गई हैं. बीते हफ्ते सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है. इसके अलावा अन्य तेल की कीमतें सामान्य रही हैं.
50 रुपये प्रति किलो की आई गिरावट
बाजार सूत्रों ने बताया कि आयात किये जाने वाले सोयाबीन डीगम, सीपीओ, पामोलीन और सूरजमुखी तेल के थोक दाम में लगभग 50 रुपये किलो तक की गिरावट आई है. इसके अलावा आयातकों ने जिस पुराने भाव पर खाद्य तेलों का आयात कर रखा है, विदेशों में तेल तिलहनों के भाव अचानक टूटने से इन आयातकों को खरीद भाव के मुकाबले 50-60 डॉलर नीचे भाव पर अपने माल को बेचना पड़ सकता है.
उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा सस्ते तेल का फायदा
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के अपने ऐतिहासिक निम्न स्तर पर जा पहुंचने से आयातकों को कहीं अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. इससे जहां देश में आयातक की बुरी हालत है वहीं उनके लिए अब खरीद के मुकाबले काफी सस्ते दाम पर तेल बेचना होगा, लेकिन इन सबके बाद भी इस गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि खुदरा कारोबार में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ में उपभोक्ताओं से मनमानी कीमत वसूली जा रही है.
क्यों आई है गिरावट?
सूत्रों ने कहा कि सीपीओ में कारोबार शून्य है और बिनौला में भी कारोबार समाप्त हो चला है. मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर रहने और विदेशों में इस तेल का भाव 200-250 डॉलर टूटने से सीपीओ, पामोलीन और सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट आई. इसके अलावा सरसों खली की मांग कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में साधारण गिरावट आई.
कम हुई सरसों की आवक
विदेशों में भाव टूटने और उसकी वजह से स्थानीय खाद्यतेलों पर दबाव होने के बावजूद सरसों पर कोई खास फर्क देखने को नहीं मिला. बाजार में सरसों की आवक घटकर लगभग दो-सवा दो लाख बोरी रह गई है जबकि यहां इसकी दैनिक मांग लगभग 4.5-5 लाख बोरी की है.
सरसों से बन रहा है रिफाइंड
सरसों का इस बार उत्पादन जरूर बढ़ा है पर आयातित तेलों के महंगा होने के समय जिस रफ्तार से सरसों के रिफाइंड बनाकर आयातित तेलों की कमी को पूरा किया गया, उससे आगे चलकर त्यौहारों के मौसम में सरसों या हल्के तेलों की दिक्कत बढ़ सकती है. सहकारी संस्थाओं के पास इस बार इसका स्टॉक भी नहीं बनाया गया है. त्यौहारों के दौरान आर्डर की कमी होने की वजह से खाद्यतेल आपूर्ति की दिक्कत देखने को मिल सकती है.
किस रेट पर बंद हुआ कारोबार?
सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 30 रुपये घटकर 7,410-7,460 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन हफ्ते में 15,100 रुपये क्विंटल के पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर ही बंद हुआ. वहीं, सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 10-10 रुपये घटकर क्रमश: 2,355-2,435 रुपये और 2,395-2,500 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं.
कितना रहा सोयाबीन का भाव?
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में भाव टूटने और मांग कमजोर रहने से सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 390 रुपये और 290 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,410-6,460 रुपये और 6,210-6,260 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए.
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में तेल कीमतों के भाव टूटने से सोयाबीन तेल कीमतें भी नुकसान के साथ बंद हुईं. सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 750 रुपये की हानि के साथ 14,400 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 750 रुपये टूटकर 14,000 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 600 रुपये की गिरावट के साथ 12,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.
मूंगफली तेल का कैसा रहा हाल?
विदेशी तेलों में आई गिरावट से मूंगफली तिलहन का भाव भी 70 रुपये की गिरावट के साथ समीक्षाधीन सप्ताह में 6,655-6,780 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 240 रुपये की गिरावट के साथ 15,410 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 135 रुपये टूटकर 2,580-2,770 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ.
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