Edible Oil Import in India: सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क एक साल के लिए और घटा दिया है. इससे खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगी रहेगी और लोगों का बजट नहीं बिगड़ेगा. केंद्र सरकार द्वारा महंगाई को कंट्रोल में रखने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है. इस कदम का मतलब हुआ कि आने वाले दिनों में आम लोगों को खाद्य तेलों की महंगाई नहीं सताने वाली है.
मार्च 2024 को थी फैसले की अंतिम तिथि
सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन ऑयल और रिफाइंड सनफ्लॉवर ऑयल के लिए आयात शुल्क (Basic Import Duty) 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया था. यह फैसला मार्च, 2024 तक के लिए लागू किया गया था. आधिकारिक सूचना के मुताबिक, अब इस निर्णय की अंतिम तिथि को बढ़ाकर मार्च, 2025 कर दिया गया है.
कीमतें नियंत्रित रखने में बड़ी मदद मिलेगी
बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी किसी भी वस्तु की कीमत तय करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. खाद्य तेलों के इम्पोर्ट पर से यह शुल्क कम करने से घरेलू बाजार में इनकी कीमतें नियंत्रण में रखने में बड़ी मदद मिलेगी. घटी हुई इम्पोर्ट ड्यूटी एक साल और बढ़ने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें नहीं बढ़ पाएंगी और उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचेगा. साथ ही महंगाई को भी नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.
खाद्य तेलों के आयात में भारत दुनिया में पहले नंबर पर
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल का उपभोक्ता है इसके अलावा खाद्य तेलों के आयात में यह दुनिया में पहले नंबर पर आता है. देश की कुल जरूरतों का 60 फीसदी हिस्सा आयात से पूरा किया जाता है. पाम आयल का बड़ा हिस्सा इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात होता है. भारत में सबसे ज्यादा खपत सरसों तेल, सोयाबीन और सनफ्लॉवर तेल की होती है.
नवंबर में तेजी से बढ़ी थी खुदरा महंगाई
नवंबर में खुदरा महंगाई तीन महीनों में सबसे ज्यादा बढ़ी थी. इसकी सबसे बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई तेजी थी. खाद्य महंगाई नवंबर में 8.70 फीसदी रही थी. इससे पिछले महीने में यह 6.61 फीसदी थी. सांख्यिकी एवं कार्क्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दालों की कीमतें सालाना आधार पर 10.27 फीसदी और सब्जियों की 17.7 फीसदी बढ़ी हुई थीं.
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