Edible Oil Price Cut: दिवाली से पहले सस्ता हो गया खाने का तेल, 4-7 रुपये प्रति लीटर की हुई कटौती
Diwali 2021: दिवाली से पहले आम जनता के लिए राहत की खबर है. खाने के तेल की कीमतों में 4-7 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी गई है.
Edible Oil Price Down: दिवाली से पहले आम जनता के लिए राहत की खबर है. खाने के तेल की कीमतों में 4-7 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी गई है. अडाणी विल्मर और रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने आम जनता को राहत देने के लिए खाने वाले तेल की थोक कीमतों में कटौती कर दी है. उद्योग निकाय SEA ने मंगलवार को कहा कि दूसरी कंपनियां भी जल्द इसको लेकर कदम उठाएंगी.
इन कंपनियों ने भी घटाए दाम
SEA ने कहा कि जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (हैदराबाद), मोदी नैचुरल्स (दिल्ली), गोकुल रिफॉइल्स एंड सॉल्वेंट लिमिटेड (सिद्धपुर), विजय सॉल्वेक्स लिमिटेड (अलवर) गोकुल एग्रो रिसोर्सेज लिमिटेड और एनके प्रोटींस प्राइवेट लिमिटेड (अहमदाबाद) खाद्य तेलों की थोक दरों में कमी करने वाली अन्य कंपनियां हैं.
सोमवार को कटौती करने की करी थी अपील
SEA ने अपने सदस्यों के साथ इसको लेकर बैठक की थी और कहा था कि त्योहारी सीजन में आम जनता को महंगाई से राहत देने के लिए तेल की कीमतों में कटौती की जानी चाहिए. SEA के सदस्यों ने इन कंपनियों से थोक कीमतों में कटौती करने की अपील की थी. SEA के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एक बयान में कहा, ‘‘उद्योग से प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक है.’’
प्रति टन 4,000-7,000 रुपये की हुई कटौती
SEA ने कहा कि वे पहले ही थोक कीमतों में 4,000-7,000 रुपये प्रति टन (4-7 रुपये प्रति लीटर) की कमी कर चुके हैं और बाकी कंपनियां भी खाद्य तेल की कीमतों में कमी करने जा रही हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि इस साल घरेलू सोयाबीन और मूंगफली की फसल में तेजी आ रही है, जबकि सरसों की बुवाई की शुरुआती रिपोर्ट बहुत उत्साहजनक है और भरपूर रैपसीड फसल होने की उम्मीद है.
आपूर्ति में आया है सुधार
इसके अलावा विश्व खाद्य तेल आपूर्ति की स्थिति में सुधार हो रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है. इससे आगामी शादियों के सीजन में घरेलू कीमतों में और कमी आ सकती है. घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ तालमेल में वृद्धि हुई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार- इंडोनेशिया, ब्राजील और अन्य देशों में जैव ईंधन के लिए तिलहन का उपयोग बढ़ने के बाद खानपान के उपयोग के लिए खाद्य तेलों की उपलब्धता कम होने के कारण इन तेलों की कीमतों में वृद्धि हुई है.
वैश्विक कीमतों का भी पड़ता है असर
आपको बता दें भारत अपनी 60 फीसदी से अधिक खाद्य तेलों की आवश्यकता को आयात के माध्यम से पूरा करता है. वैश्विक कीमतों में किसी भी वृद्धि का स्थानीय कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है. कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में आयात शुल्क में भारी कमी सहित कई अन्य उपाय किए थे, जिसके बारे में एसईए ने कहा कि इससे कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिली है.
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