Edu Economy: शिक्षा का अर्थशास्त्र, अगले 5-6 साल में 300 अरब डॉलर से बड़ा होगा बाजार
Education and Skills Market: भारत में शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है. अब सरकारें भी इनके ऊपर ध्यान दे रही हैं. इससे बाजार का आकार लगातार बढ़ रहा है...
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शिक्षा और कौशल के विकास पर सरकारों के ध्यान देने से देश में एक अलग अर्थव्यवस्था तैयार हो रही है. अभी ही एजुकेशन और स्किल के बाजार का आकार अरबों डॉलर का है. विशेषज्ञों की मानें तो अगले 5-6 साल में शिक्षा व कौशल के बाजार में डेढ़ गुने से ज्यादा की तेजी आ सकती है और उनकी अर्थव्यवस्था 300 अरब डॉलर के पार निकल सकती है.
इतना बड़ा हो सकता है शिक्षा का बाजार
कैंब्रिज एजुकेशन लैब यानी सीईएल के अनुसार, भारत का शिक्षा और स्किल बाजार बढ़कर 2030 में 313 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है. इस बाजार का आकार साल 2020 में 180 अरब डॉलर का था. सीईएल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में बदलावों की जरूरत है. इसके लिए कैंब्रिज एजुकेशन लैब ने अपनी ओर से योजना भी तैयार की है, जो वैश्विक शिक्षा पद्धतियों और भारतीय शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटने पर फोकस्ड है.
कई किफायती शिक्षा कार्यक्रम का हो रहा विकास
सीईएल के संस्थापक सुयश भट्ट का कहना है- सीईएल ने भारत के साथ ब्रिटेन, फिनलैंड, इंडोनेशिया और एस्टोनिया में कई शिक्षा सम्मेलन आयोजित किए हैं और अब स्कूल लीडरों, शिक्षकों और छात्रों के लिए कई किफायती शिक्षा कार्यक्रम विकसित करने पर काम चल रहा है. सीईएल प्रोग्राम ने जम्मू और कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक भारत के कई राज्यों के 60 से अधिक स्कूलों और 1 लाख से अधिक विद्यार्थियों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है.
डायलॉग में शामिल हुए कई बिजनेस पर्सन
कैम्ब्रिज एजुकेशन लैब ने हाल ही में कैम्ब्रिज इंडिया बिजनेस डायलॉग आयोजित किया. ब्रिटेन में आयोजित उस कार्यक्रम में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने भारतीय और ब्रिटेन के बीच व्यापार के अवसरों को सुविधाजनक बनाने में शैक्षिक बुनियादी ढांचे के योगदान पर जोर दिया. उसमें सिप्ला के चेयरमैन डॉ. यूसुफ हामिद और मेकमाईट्रिप के चेयरमैन दीप कालरा जैसे बिजनेस पर्सन भी शामिल हुए थे.
कैम्ब्रिज एजुकेशन लैब ने शुरू किया ये काम
कैम्ब्रिज एजुकेशन लैब ने अब देश के दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों तक पहुंचने की योजना बनाई है. इसके लिए सीईएल ने देश के स्कूलों के साथ समझौते करने शुरू कर दिए हैं. कैम्ब्रिज एजुकेशन लैब ने अब 9वीं से 12वीं कक्षा के भारतीय छात्रों के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट शुरू किया है, जो खास तौर पर टियर 2 और टियर 3 शहरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
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